अयोध्या में भगवान् राम लला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आगामी 22 जनवरी को होने वाला है जिसमें सनातनी संगठनों के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी अपने एजेण्डा के तहत जोर शोर से अग्रणी भूमिका अदा कर रही हैं। भाजपा अपने चुनावी एजेण्डा में हमेशा शामिल करती रही है। कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दलों द्वारा किसी ना किसी रुप में अल्पसंख्यकों को साथ रखने के लिए जाने के लिए सपष्ट ना कह रही है वही तरह तरह के बहाने बनाकर अपने वोट बैंक को सलामत रखने के लिए एक ऐतिहासिक अवसर को खो रही है। कांग्रेस राष्ट्रीय दल है उनके पास अभी 50 सांसद है जो दस प्रतिशत से भी कम है वही हाल राज्यसभा में भी है। क्या देश में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के सारे वोट उन्हें मिलेंगे। हाँ क्षेत्रीय दलों की राजनीति लगभग अपने क्षेत्र तक सिमित होती है तो उनकी मजबूरी तो शायद जाति अल्पसंख्यकों के भरोसे हो सकती है लेकिन कांग्रेस के लिए मुश्किल का निर्णय होगा। सभी मुस्लिम संगठन जब सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया तो किसी ने भी कोई आवाज़ नहीं उठाई ना ही अब तक। अब मुस्लिम समुदाय भाजपा के नजदीक आ रहा है क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने संपूर्ण राष्ट्र में पारदर्शिता के साथ सबके लिए समदृष्टी वाला विकास किया उससे महिलाओं के साथ साथ बङे हिस्से के लोग भाजपा के साथ है। खैर राजनीतिक नेताओं को लोकसभा चुनाव में लाभहानि के लिए रणनीति बनानी है तो *राम का सहारा अथवा किनारा* इस पर चलना ही होगा। लेकिन पूरे भारत सहित विश्व में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की इतनी बड़ी तैयारी देश के विदेशों में हो रही है इससे सपष्ट है कि सारा देश राममय हो रहा है। टेलीविजन रेडियो टीवी चैनलों सोसल मिडिया एवं अखबारों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की चर्चा ही चर्चा है इससे यह दिन अन्य त्यौहारों की बनिस्पत सर्वाधिक लोकप्रिय हो रहा है। भगवान् राम किसी धर्म जाति संप्रदाय से हटकर मानवीय दृष्टिकोण से भी सबसे उपर है । देश के हर संप्रदाय को इस धार्मिक कार्यक्रम में शरीक होना ही पङेगा क्योंकि 22 जनवरी को सारा विश्व विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर यही कार्यक्रम देखेंगे। कोविद के संक्रमण काल में जब देश क्या विदेश पूरा विश्व एक था तो उस दिन भी ऐसा ही होगा। विधवा विलाप करने से ना तो कोई कोविद से बच पाया तो ऐसा ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह में होगा।





















