अयोध्या. अयोध्या भगवान श्रीराम की भक्ति में एक बार फिर से सराबोर होने के लिए तैयार है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के अवसर पर तीन दिवसीय महोत्सव आज, 11 जनवरी से शुरू हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन करेंगे। यह भव्य महोत्सव 13 जनवरी तक चलेगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे और धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठाएंगे। राम मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों और भव्य तोरण द्वारों से सजाया गया है। अंगद टीला पर जर्मन हैंगर टेंट लगाए गए हैं, जहां 5,000 से अधिक मेहमानों का स्वागत किया जाएगा। इनमें 110 विशिष्ट अतिथि भी शामिल हैं। खास बात यह है कि इस आयोजन के दौरान वीआईपी दर्शन बंद रहेंगे, ताकि आम श्रद्धालु बिना किसी बाधा के रामलला के दर्शन कर सकें।
रामलला का अभिषेक और महाआरती: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद रामलला का अभिषेक करेंगे। दो पुजारी खड़े होकर श्रीविग्रह का अभिषेक करेंगे, जबकि अन्य सहयोग करेंगे। महाआरती का आयोजन 12:20 बजे होगा।
भोग और प्रसाद: प्रतिष्ठा द्वादशी के दिन रामलला को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। सीएम योगी प्रसाद ग्रहण करेंगे।
वैदिक अनुष्ठान: महाराष्ट्र और तमिलनाडु के 11 वैदिक विद्वानों द्वारा शुक्ल यजुर्वेद की मध्यांदिनी शाखा के 1,975 मंत्रों का जप और हवन किया जाएगा। राम नाम के छह लाख मंत्रों के जप के साथ श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त, हनुमान चालीसा और अन्य ग्रंथों का पाठ होगा।
भक्ति संगीत और नृत्य: प्रसिद्ध गायिका उषा मंगेशकर और मयूरेश पई भजन प्रस्तुत करेंगे। डॉ. आनंदा शंकर जयंत भरतनाट्यम प्रस्तुति “भावयामि रघुरामम” से कार्यक्रम का समापन करेंगी।
संत सम्मेलन और काव्य पाठ: देशभर से आए संत-महंतों का सम्मेलन होगा। कवि डॉ. कुमार विश्वास अपने भजनों और कविताओं से कार्यक्रम को विशेष बनाएंगे
तीन दिवसीय महोत्सव में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। मंदिर का गर्भगृह विशेष रूप से सजाया गया है, और पुजारियों ने पूजा-अर्चना की तैयारियां पूरी कर ली हैं। रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का वैश्विक स्तर पर प्रसार करने का प्रतीक है। यह महोत्सव भगवान श्रीराम के प्रति समर्पण, भक्ति और आनंद का अनूठा अनुभव प्रदान करेगा। अयोध्या में इस नई भक्ति परंपरा की शुरुआत भारत की सांस्कृतिक पहचान को और सुदृढ़ बनाएगी।