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राम जी के नगर चले
– डाक्टर श्रीधर द्विवेदी,
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ
नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
राम जी के नगर चले ,
अवध की डगर चले ,
सरयू तीर चले ,
शत शत दीप जले , राम जी के नगर चले ।
प्रभु स्मरण किये,
हर्ष उमंग हिये ,
बहु संकल्प लिये ,
सहचर पुत्रि पिये । राम जी के नगर चले ।
सरजू नीर पिये ,
रजकण कोष लिये,
सरयूपार किये ,
बहुतहिं पुन्य किये । राम जी के नगर चले ।
द्रुतगति यान चले ,
ब्रज से अवध चले ,
रश्मि अरूण बिखरे ,
मन से धुंध हटे । राम जी के नगर चले ।
हम सब अवध चले ,
जन्म कथा गुनत चले ,
राम सिय कहत चले ,
सुधा सब चखत चले । राम जी के नगर चलै ।
सरयू सम पयस्वला ,
धरती शस्य श्यामला ,
वासी मिष्ठभाषी मृदुल ,
विराजत हों रामलला । राम जी के नगर चले ।
सनातन संस्कृति प्रतीक ,
चतुष्पथ कमल शंख वीणा ,
चुड़ामणि तुलसी सुमंत्र ,
रामसर रामपद रामकेरि क्रीडा,
हम उस धाम चले । राम जी के नगर चले ।
दिव्य दृश्य लखत चले ,
धन्य भाग कहत चले ,
सबहिं सराहत भये ,
भक्ति भाव डूब चले । राम जी के नगर चले ।
धाम अयोध्या ,
राम कयोध्या ,
सरयू के रघुतिलक अयोध्या ,
होंठों पर हनु राम अयोध्या । राम जी के नगर चले ।
सार्थक सहस्त्रों जन्म ,
रात ओरछा दिवस कनक में ,
समय सुनिश्चित इत्र सुवासित ,
विक्रम पूर्व पवनसुत विग्रह ,
ऐसो मंदिर लखत मननिग्रह । राम जी के नगर चले ।
सार्थक सहस्त्रों जन्म ,
निहार ललादशरथ आज ,
धन्य धन्य अयोध्यावासि ,
पुन्य अस कमायों हैं ,
त्याग सब गायों हैं ,
राम जी को ,
अवध खूब भायो है । राम जी के नगर चले ।





















