रामकृष्णनगर, 30 मई:
श्रीभूमि जिले में माध्यमिक परीक्षा के इस वर्ष के खराब परिणाम को लेकर आयोजित एक समीक्षा बैठक में जिला आयुक्त प्रदीप कुमार द्विवेदी द्वारा उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के साथ किए गए कथित अभद्र एवं असंवैधानिक व्यवहार ने पूरे जिले में शिक्षकों के बीच आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
इस घटना के विरोध में श्रीभूमि जिला शिक्षक-कर्मचारी समन्वय समिति के आह्वान पर गुरुवार को जिले के प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों तक के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। रामकृष्णनगर अंचल के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान रामकृष्ण विद्यापीठ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय समेत सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के शिक्षक और कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल हुए और जिला आयुक्त के खिलाफ एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया।
समन्वय समिति के अध्यक्ष पवित्र कुमार दे ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “यदि किसी शिक्षक या प्रधानाचार्य से कोई त्रुटि हुई है, तो उसके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन समीक्षा बैठक के नाम पर जिला आयुक्त ने अपने कॉन्फ्रेंस हॉल में बुलाकर कुछ प्रधानाचार्यों के साथ जिस तरह का दुर्व्यवहार किया है, वह श्रीभूमि के इतिहास में अभूतपूर्व है। एक प्रशासनिक प्रमुख से ऐसी भाषा और व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जाती।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जिला आयुक्त शिक्षकों से सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा।
संस्कृत शिक्षक रूपांशु चक्रवर्ती ने बताया कि कई विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। रामकृष्णनगर के गर्ल्स हाई स्कूल में संगीत शिक्षिका को ही प्रभार में रखकर प्रधानाध्यापिका की भूमिका निभानी पड़ रही है। रामकृष्ण विद्यापीठ में 2200 से अधिक छात्रों के लिए मात्र 26 शिक्षक-शिक्षिकाएं नियुक्त हैं, जिससे शिक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी विषम परिस्थिति में शिक्षकों को अपमानित करके सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता कैसे सुधारी जा सकती है?
रूपांशु चक्रवर्ती ने तीखे शब्दों में कहा, “जिस आईएएस अधिकारी ने शिक्षकों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया, वह भी किसी शिक्षक से ही पढ़कर इस पद तक पहुंचे हैं। आज उसी शिक्षक समाज को अपमानित किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने शिक्षक नियुक्ति पत्र तत्कालीन शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान मुख्यमंत्री के हाथों से ग्रहण किया था। लेकिन आज शिक्षकों के साथ हो रहे अपमान से आहत होकर वे वह नियुक्ति पत्र सरकार को लौटाने पर विचार कर रहे हैं।
अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि शिक्षकों के अपमान का उचित समाधान नहीं किया गया, तो प्रदेशभर में लोकतांत्रिक तरीके से व्यापक जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।





















