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राष्ट्र जागरूकता और सशक्त नेतृत्व पर पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का जोर, “नेता को वर नहीं, योद्धा समझकर चुनें”
शिव कुमार,शिलचर 30 मार्च: हिंदीभाषी चाय जनसमुदाय मंच द्वारा आयोजित विशेष संगोष्ठी में प्रमुख राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने समाज और राष्ट्र के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारियों, सही राजनीतिक चेतना, नेतृत्व चयन, सनातन धर्म की वैज्ञानिकता और भारत की वैश्विक शक्ति पर विचार व्यक्त किए।अपने ओजस्वी और प्रभावशाली भाषण में उन्होंने समाज की कमजोर मानसिकता और राजनीतिक उदासीनता पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि भारत को एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है, तो नागरिकों को अपने मताधिकार का प्रयोग बहुत सोच-समझकर करना होगा और एक मजबूत नेतृत्व का चयन करना होगा।
भारतीय समाज की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कुलश्रेष्ठ ने कहा कि लोग व्यक्तिगत सम्मान को लेकर तो बेहद सतर्क रहते हैं, लेकिन जब बात राष्ट्र की होती है तो उनमें उतनी गंभीरता नहीं दिखाई देती।
उन्होंने कहा, हम अपने निजी जीवन में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन जब देश की बात आती है, तो मुफ्त सुविधाओं के नाम पर अपना मत बेच देते हैं। हमें राष्ट्र की चिंता भी उसी गंभीरता से करनी चाहिए, जिस तरह हम अपने व्यक्तिगत हितों की चिंता करते हैं।
राजनीति और नेतृत्व के चुनाव पर जोर देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘मतदान’ कोई दान नहीं, बल्कि नागरिकों का अधिकार और कर्तव्य है।

उन्होंने कहा, हम नेता तो चुन लेते हैं, लेकिन उसके बाद उम्मीद करते हैं कि वह हमारे लिए सब कुछ कर देगा। असल में, हमें अपने मत का उपयोग बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। हमें यह नहीं देखना चाहिए कि कौन हमें मुफ्त योजनाओं का प्रलोभन दे रहा है, बल्कि यह देखना चाहिए कि कौन हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और संस्कृति की रक्षा कर सकता है।
उन्होंने चेताया कि अगर समाज ने गलत चुनाव किया, तो उसका असर सिर्फ कुछ सालों तक नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।
कुलश्रेष्ठ ने सनातन धर्म को विज्ञान से जोड़ते हुए बताया कि यह केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि एक समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा है।उन्होंने कहा, हमारे ऋषि-मुनियों को हजारों साल पहले ही ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों की जानकारी थी। उन्होंने जो सिद्धांत प्रतिपादित किए, वे आज आधुनिक विज्ञान भी सिद्ध कर रहा है। लेकिन दुर्भाग्यवश, समय के साथ इसे सही तरह से प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला।उन्होंने सनातन धर्म की अजर-अमरता को स्पष्ट करते हुए कहा कि कुछ लोग इसे समाप्त करने की बात कर रहे हैं, लेकिन सनातन तब तक रहेगा, जब तक यह ब्रह्मांड रहेगा। इसे मिटाने का सपना देखने वाले खुद ही मिट जाएंगे।धर्म की सही परिभाषा बताते हुए कुलश्रेष्ठ ने कहा कि यह किसी मजहब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का समुच्चय है।उन्होंने कहा, एक राजा का धर्म होता है कि वह अपने राज्य की रक्षा करे, एक मां का धर्म होता है कि वह अपने बच्चों का पालन-पोषण अच्छे से करे, एक शिक्षक का धर्म होता है कि वह विद्यार्थियों को सही शिक्षा दे। धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि अपने दायित्वों को निभाना है।उन्होंने कथा वाचकों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि “जब राम कथा हो रही हो, तो केवल भगवान राम की बातें होनी चाहिए, न कि अन्य विषय जो कथा से भटकाने का काम करें।

भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने बताया कि जब वे वनवास गए, तो उन्होंने अपने साथ धनुष-बाण लिया। इसका कारण यह था कि वे जानते थे कि जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी और उन्हें उनका सामना करना होगा।उन्होंने कहा, भगवान राम ने जब समुद्र से रास्ता मांगा, तो सात दिनों तक भजन-कीर्तन किया, लेकिन समुद्र ने मार्ग नहीं दिया। जैसे ही उन्होंने धनुष उठाया, समुद्र ने तुरंत मार्ग दे दिया। इसका स्पष्ट संदेश यह है कि दुनिया केवल शक्तिशाली की सुनती है। भारत को भी अब अपनी शक्ति का परिचय देना होगा। राजनीति में सही नेतृत्व चयन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि, जब कोई व्यक्ति अपनी बेटी के लिए वर चुनता है, तो उसकी हर बारीकी को परखता है, लेकिन जब नेता चुनने की बारी आती है, तो सतर्कता नहीं बरती जाती।उन्होंने कहा कि समाज को अपने नेताओं से यह पूछना चाहिए कि वह संकट के समय क्या करेगा? क्या वह समाज के साथ खड़ा रहेगा या तुष्टिकरण की राजनीति करेगा?उन्होंने कहा कि 2014 का आम चुनाव भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ था। पहली बार भारतीय समाज ने किसी आदर्शवादी नेता को नहीं, बल्कि ऐसे नेतृत्व को चुना, जो वैश्विक मंच पर भारत की शक्ति को स्थापित कर सके। यह बदलाव केवल एक व्यक्ति की जीत नहीं थी, बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज की मानसिकता में आया ऐतिहासिक परिवर्तन था।उन्होंने कहा कि अब भारतीय समाज को और अधिक सतर्क होकर अपने नेतृत्व का चुनाव करना होगा, क्योंकि यदि गलत चुनाव हुआ, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।असम की राजनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यहाँ जाति और धर्म के दायरे से बाहर निकलकर वास्तविक चुनौतियों को पहचानने की जरूरत है।उन्होंने कहा, असम को ऐसे नेता की जरूरत है, जो यहाँ की जमीनी सच्चाई को समझता हो और उससे लड़ने की क्षमता रखता हो।

केवल वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेता समाज को कमजोर कर रहे हैं और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं।अपने प्रभावशाली संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि यदि भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाना है, तो “हमें अपने नेता के चरित्र, विचारधारा और संकट से निपटने की क्षमता को ध्यान में रखकर मतदान करना होगा। उन्होंने कहा, राष्ट्र केवल भजन-कीर्तन और आदर्शवाद से नहीं चलता। उसे एक सशक्त और प्रभावी नेतृत्व की जरूरत होती है, जो चुनौतियों का सामना कर सके और देश को वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा कर सके। मंचासीन अतिथियों में हिंदीभाषी एवं चाय जन समुदाय मंच के अध्यक्ष उदय शंकर गोस्वामी, कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह, विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष अधिवक्ता शांतनु नायक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) शिलचर के निदेशक डॉ. दिलीप कुमार वैद्य, असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत, मेघालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी.डी. शर्मा, भारतीय चाय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक उरांग, महासचिव कंचन सिंह सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थे। इस आयोजन ने समाज और राष्ट्र निर्माण को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा की और लोगों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने स्पष्ट किया कि राष्ट्र निर्माण में सही नेतृत्व और जागरूक नागरिकों की भूमिका सबसे अहम होती है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप मंत्र एवं स्वस्ति वाचन मंत्र प्रस्तुत किया अंजली दीक्षित ने। उपस्थित अतिथियों के स्वागत में बिन्दु सिंह, क्रांति भारती, बीनापानी मिश्रा, किरण त्रिपाठी, सविता जायसवाल, सुपर्णा तिवारी ने सामूहिक रुप से हनुमान चालिसा का पाठ किया और स्वागत गीत भी प्रस्तुत किया। मेघा कानु द्वारा गणेश वंदना पर सुंदर नृत्य की प्रस्तुति अद्भुत थी। संगठन द्वारा पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ को मानपत्र, जापी, असम की समृद्धि का प्रतीक गैंडा की मूर्ति और शॉल से सम्मानित किया गया। मानपत्र का पाठ मनीष पाण्डेय ने किया। इसके अलावा असम विश्वविद्यालय के कुलपित राजीव मोहन पंत, विश्व हिन्दु परिषद की तरफ से शांतनु नायक, मारवाड़ी समाज की तरफ से समाजसेवी महावीर जैन, हनुमान जैन, राजेन्द्र अग्रवाल, रोजकांदी चाय बागान के महानिदेशक ईश्वरभाई उभाडिया के अलावा कई संगठनों ने पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ को सम्मानित किया।