अहमदाबाद. रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने एक कांस्टेबल द्वारा दायर मुआवजे की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि जीआरपी और आरपीएफ कर्मियों को ट्रेन यात्रा के लिए पास लेना होगा या टिकट खरीदना होगा. सिर्फ वर्दी पहने होने और पहचान पत्र दिखाने से काम नहीं चलेगा. ट्रेन की सवारी के समय उनके पास पास या टिकट होना ही चाहिए. कांस्टेबल ने दावा किया था कि ट्रेन से गिरने के समय वह ड्यूटी पर था.
ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद पीठ ने कहा कि बार-बार ट्रेन यात्रा करने वाले जीआरपी के जवानों को ड्यूटी कार्ड पास जारी किया जाना चाहिए. इस मामले में रेलवे की ओर से लापरवाही की जा रही है.
जीआरपी कांस्टेबल ने मांगा था 8 लाख रुपए मुआवजा
जीआरपी कांस्टेबल राजेश बागुल ने ट्रिब्यूनल में याचिका लगाकर रेलवे से ब्याज सहित 8 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था. उनका दावा था कि हादसे के समय वह आधिकारिक ड्यूटी पर थे. बागुल 12 नवंबर 2019 को सूरत रेलवे पुलिस स्टेशन आधिकारिक ड्यूटी पर गए थे. वह सूरत-जामनगर इंटरसिटी ट्रेन से सूरत से भरुच लौट रहे थे, तभी पालेज स्टेशन पर गिर गए थे. इसके चलते उनके बाएं पैर में गंभीर चोटें आईं. उनके पैर को घुटने के ऊपर से काटना पड़ा.
ट्रिब्यूनल के सदस्य (न्यायिक) विनय गोयल ने याचिका खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि बागुल के पास टिकट या पास जैसा कोई सबूत नहीं है, जिससे वे यह साबित कर सकें कि आधिकारिक ड्यूटी के चलते ट्रेन यात्रा कर रहे थे. रेलवे को जीआरपी और आरपीएफ के अधिकारियों को यात्रा पास देने के संबंध में नियम का पालन करना चाहिए.
रेलवे का लापरवाह रवैया ठीक नहीं
पीठ ने कहा, रेलवे का लापरवाह रवैया ठीक नहीं है. किसी को भी उचित और वैध यात्रा प्राधिकरण के बिना ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. भले ही वह आधिकारिक ड्यूटी पर हो. उसे उचित यात्रा पास लेना होगा या टिकट खरीदना होगा. किसी भी तरह से पहचान पत्र दिखाकर ट्रेन यात्रा नहीं कर सकते.