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लघुकथा रोहन की अद‌भुत यात्रा

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रोहन की अद‌भुत यात्रा
एक छोटे से गाँव में रोहन का परिवार रहता था,
उसकी माँ का नाम सरस्वती और उसके पिता का नाम हरिनारायण था। रोहन की माँ गाँव की साधारण पर मेहनती महिला थी।
सुबह सूरज निकलने से पहले ही उठकर घर का काम संभालती चूल्हे पर रोटियाँ सेंकना, पशुओं को चारा डालना और खेल के लिए अपने पति का भोजन तैयार करना।
गाँव में लोग उन्हें सम्मान से “सरस्वती बहन” कहते, क्योंकि वह हमेशा सबकी मदद करने के लिए तैयार रहती थीं।
सरस्वती का स्वभाव शांत था, लेकिन दिल में बहुत मजबूती थी। पति की कमाई बहुत कम थी, फिर भी वह अपने छोटे-से घर को प्यार और धैर्य से सँभालती।
रोहन के पिता हरिनारायण गाँव में खेतिहर मजदूरी करते थे। उनके पास जमीन बहुत कम थी, बस इतनी कि परिवार का गुज़ारा हो सके।
अक्सर उन्हें दूसरों के खेतों में भी मजदूरी करनी पड़ती थी। कठोर मेहनत के बावजूद, घर में पैसों की कमी बनी रहती थी।
हरिनारायण चाहते थे कि रोहन बड़ा होकर उनकी तरह खेतों में न फंसे, बल्कि कुछ अलग करे। लेकिन गरीबी और मजबुरी के कारण वे ज्यादा कछ नहीं कर पाते।
रोहन का परिवार गाँव के किनारे एक छोटे-से कच्चे घर में रहता था। घर मिट्टी और फूस का बना था, बारिश के दिनों में छप्पर से पानी टपकता था।
खाने-पीने में साधारण दाल-भात और कभी-कभी सब्जी ही उनकी रोजमर्रा थी। कपड़े पुराने थे, जिन्हें मां बार-बार सिलकर नया रूप देती।
फिर भी, उनके घर में प्यार और अपनापन इतना था कि गरीबी कभी बोझ नहीं लगती। माँ हमेशा कहती-
“बेटा, धन-दौलत से बढ़कर दिल की दौलत होती है।
रोहन अपनी माँ से बहुत जुड़ा हुआ था।
माँ उसे सोने से पहले अक्सर कहानियाँ सुनातीं देवताओं की, वीर योद्धाओं की और अनजान यात्राओं की। शायद इन्हीं कहानियों ने उसके दिल में अनजान रास्तों को खोजने का बीज बोया।
जब भी वह कहीं जाने का सोचता, माँ उसे आशीर्वाद देती और अपनी लकड़ी की माला थमा देती “ये तुम्हारी रक्षा करेगी।” इस तरह, रोहन का परिवार साधारण लेकिन संस्कारों और प्रेम से भरा हुआ था।
रोहन का मन हमेशा नई जगहों को खोजने और अनजाने रास्तों पर चलने में लगा रहता। बचपन से ही जब भी वह खेतों के पार, पहाड़ियों के पीछे या जंगलों की ओर देखता, उसके मन में यह सवाल उठता
– “आखिर इन रास्तों के उस पार क्या होगा?”
एक दिन गाँव के बुजुर्गों से उसने सुना कि गाँव से कुछ दूरी पर एक ऐसा रास्ता है, जिसे बहुत कम लोग देख पाए हैं। कहा जाता था कि वह रास्ता साधारण रास्ता नहीं है, बल्कि इंसान को एक अनोखी और अद्‌भुत दुनिया में ले जाता है।
रोहन का मन बेचैन हो उठा। उसी रात वह सो नहीं पाया। अगले ही दिन उसने तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो, वह उस रहस्यमयी रास्ते की खोज करेगा।
सुबह-सुबह उसने अपना छोटा-सा बैग तैयार किया-
उसने माँ को प्रणाम किया और जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता था। पेड़ इतने ऊँचे थे कि मानो आकाश को छू रहे हों। जगह-जगह पंछियों की आवाजें गूंज रही थीं। चलते-चलते अचानक एक झाड़ी हिली, और वहाँ से एक हिरण कूदकर निकला। रोहन चौंक गया, लेकिन उसकी आँखों में डर नहीं बल्कि उत्सुकता थी।
जंगल में और आगे बढ़ते ही उसने देखा कि रास्ते पर अजीब-सी रोशनी फैली है। हवा में एक अनजान खुशबू थी, जो उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी। रास्ते के दोनों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले थे, और उनके पंखुड़ियों मानो रोशन हो रही हो।
अचानक पीछे से एक मधुर आवाज़ आई
वह चौंका। मुड़कर देखा तो सामने एक सुंदर सी लड़की खड़ी थी। उसकी आँखें झील की तरह गहरी और शांत थीं, और चेहरा चाँद की तरह उजला।
लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा-
“तुम सही रास्ते पर हो, लेकिन अभी आगे बहुत कुछ देखना बाकी है। आओ, मैं तुम्हें इसका रहस्य बताती हैं।”
रोहन पहले तो संकोच में था, लेकिन उसके दिल ने कहा कि वह लड़की पर भरोसा कर सकता है।
लड़की उसे लेकर आगे चली। कुछ ही देर में रास्ता खुलकर एक अ‌द्भुत बाग में जा पहुँचा। वहाँ हर तरफ तरह-तरह के पेड़-पौधे थे। पेड़ों पर सोने जैसे फल लटक रहे थे, फूलों से मधुर संगीत निकल रहा था और बीच में एक बड़ा-सा नील तालाब था। तालाब के पानी में मानो आकाश के सारे तारे उतर आए हों। लड़की ने कहा
“यह कोई साधारण जगह नहीं है। यह तुम्हारे दिल का बारा है। यहाँ वही पहुँच सकता है, जो अपने मन की आवाज़ सुनता है।”
रोहन हैरान होकर पूछने लगा-
“लेकिन मैं यहाँ क्यों आया? इसका मतलब क्या है?”
लड़की ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया –
“जीवन कई रास्तों से भरा है, रोहन। हर रास्ता तुम्हें एक नए अनुभव की ओर ले जाता है। लेकिन सबसे बड़ा रहस्य यह है कि सही रास्ता वही है, जिसे तुम्हारा दिल चुने। जब भी तुम्हें निर्णय लेना हो, अपने दिल की आवाज़ सुनो -वही तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक ले जाएगी।”
यह सुनकर रोहन की आँखों में चमक आ गई। उसे महसूस हुआ कि यह यात्रा केवल एक जगह की खोज नहीं थी, बल्कि स्वयं की खोज थी।
रोहन ने लड़की को धन्यवाद दिया और आँखें झपकते ही वह गायब हो गई। चारों ओर फिर वही जंगल था, लेकिन अब उसके मन में कोई उलझन नहीं थी। वह जान चुका था कि हर इंसान के जीवन का रास्ता अलग होता है, और असली मंज़िल बाहर नहीं बल्कि अपने भीतर छिपी होती है।
उस दिन के बाद रोहन गाँव लौट आया, लेकिन अब वह पहले जैसा नहीं था। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास था, दिल में सुकून था, और जीवन को देखने का नजरिया बदल चुका था।
Name: Deepali Singh
Class: B.com 2nd sem

College name: First grade college KR Puram Bangaluru.

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