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अभी कल ही हमारे समाज के खुद मियां मिट्ठू,समझ गये होंगें, नहीं समझे तो मैं क्या करुं ?आप यूं करो हमारे नगर श्री हां अभी तक तो श्री ही लिखूंगा उनके जाने के बाद अर्थात् शिलचर जाने के बाद भी तो श्री ही लिखूंगा,नगर श्री अपनी मोटी बुद्धि के अनुसार अमर होते है। अभी तक दस अमर हैं यही सुना था पर उनके जाने के बाद( शिलचर) क्या लिखूं ये मैं नहीं जानता.अब तो समझ गये होंगे.उनके किसी खंड में ( अभी तक तो साबूत हैं ) जानकारी हो तो उनके लौट कर आने पर ही पूछूंगा कि कहीं आप तो ग्यारहवें नहीं,अगर हैं तो बता दें। ग्यारस देने से बचायें,यदि बचा लेते हैं तो उनसे प्रश्न करुंगा,जो उत्तर मिलता है आपको बता दूंगा कि प्रवास काल में क्या हुआ,श्री लिखें या और कुछ ?ऐसा पूछना साधारण नहीं है,बस इतना ही पूछ लें, सुना है आपकी टिकट कट गई है,कब की है कहां की (कौन से लोक की है) आपको सब मालूम हो जायेगा,उसी अनुसार समारोह करना होगा। कौन सा समारोह,आप स्वयं ही समझदार है, मौके अनुसार, प्रीति भोज और कौनसा। भगवान् से विनती है कि उन्हें हर प्रकार की सफलता दे ताकि हम सभी डटकर भोज खा सकें, फिर वही बात कौन सा भोज? प्रीति भोज भाई प्रीति भोज ताकि हम सभी को उनकी तरफ से धन्यवाद मिले और उनको मिले अशांति.अशांति देने लीकलकोटीयो कोनी जावे, बस इतना ही कहकर शान्ति पूर्वक अपना आसन ग्रहण करता हूं।
मुरारी केडिया 9435033060.