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लोंगाई और इचाबिल चाय बागानों में श्रमिकों को मिले सरकार द्वारा तय दैनिक मज़दूरी- भारतीय चाय मज़दूर संघ

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शिलचर 20 जून । बराक घाटी में अब भी अनेक चाय बागान है, जहां राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दैनिक मज़दूरी श्रमिकों को नहीं दिया जा रहा है। करीमगंज जिले में स्थित लोंगाई और इचाबिल चाय बागान उसमें शामिल है। यह दोनों ही चाय बागान असम सरकार अधीन एटीसी के अंतर्गत आता है। भारतीय चाय मज़दूर संघ ने श्रमिकों के हक़ की आवाज को उठाते हुए यह चेतावनी दी है, यदि सरकार द्वारा तय मज़दूरी श्रमिकों को देना शुरू नहीं हुआ, तो कड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। चाय मज़दूर संघ के महासचिव कंचन सिंह, सचिव रंजीत साहू और कोषाध्यक्ष राजीव रॉय ने एक संवाददाता सम्मेलन कर संगठन की स्थिति स्पष्ट की। संघ ने राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा और राज्य के श्रम मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। कंचन सिंह मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि असम चाय निगम के प्रबंध निदेशक को एक ज्ञापन भेजा गया। वे असम चाय निगम से अपील की है कि इचाबिल और लोंगाई के श्रमिकों के हितों को लेकर गंभीरता दिखाए। एटीसी के चेयरमैन राजदीप ग्वाला के भी संज्ञान में लाया गया है। भारतीय चाय मज़दूर संघ के महासचिव कंचन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने चाय बागानों की दशा सुधारने के क्रम में अनेक पहल की है। वर्ष 2023 के अक्टूबर माह में बराक घाटी के चाय बागानों की दैनिक मजदूरी को 210 रुपये से बढ़ाकर 228.00 रुपये कर किया है, लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी एटीसी ने अपने अधीन दो चाय बागानों में श्रमिकों को उनका न्यूनतम दैनिक मज़दूरी जो मिलना चाहिए लागू नहीं किया है। केवल 183 रुपए दिए जा रहें हैं ,भारतीय चाय मज़दूर संघ ने यह मांग की है कि लोंगाई और इचाबिल डिवीजन के मजदूरों को तत्काल प्रभाव से बकाया मजदूरी के साथ-साथ निर्धारित मजदूरी जारी की जाए। मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन अनुसार श्रमिकों  को 0.54 प्रति 3 किलो राशन, प्रबंधन द्वारा हर वर्ष छाता, कम्बल, जूते, मच्छरदानी मजदूरों को दी जाती है, लेकिन आजकल यह नहीं दिया जा रहा  अतः यह अनुरोध किया गया कि इसे यथाशीघ्र जारी किया जाए। प्रबंधन की ओर से मजदूरों की नई नियुक्ति भी बंद कर दी गई है, अतः अपील की कि जल्द से जल्द मजदूरों की नियुक्ति शुरू की जाए। संघ ने कहा कि उनके मांगों पर गौर नहीं किया गया, तो वे लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

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