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दुमदुमा प्रेरणा भारती 4 नवंबर : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ शुरू किए जाने के लिए व्रतधारियों ने इसकी तैयारी शरू कर दी है। मालूम हो कि चार दिवसीय व्रत पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि को नहाय खाय के साथ शुरू होता है। इस दिन सर्वप्रथम स्नान पूजा पाठ के बाद शुद्ध चावल ,चना की दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद बनाकर व्रत का शुभारंभ करते हैं। इस दिन छठ व्रती पूर्ण रूप से शुद्ध और स्वच्छ होकर पूर्ण रूप से सूर्य उपासना के लिए समर्पित हो जाते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को प्रातः काल उठकर व्रत धारियो घर के आसपास सफाई ,स्नान करके निर्जल व्रत रखकर शाम को चावल से बनी खीर तथा शुद्ध गेहूं के रोटी का छठ मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करेंगे। कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को निर्जला रहकर दोपहर नदी, तालाब और कृत्रिम जलाशय में अस्ताचलगामी सूरज को अर्ध्य देकर तीसरे दिन व्रत का समापन किया जाता है । फिर अगले दिन सुबह कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर 36 घंटे का निर्जल व्रत का समापन किया जाता है।
उत्तर भारत एवं पूर्वोत्तर राज्यों में छठ पूजा का आयोजन में लोगों की भीड़ उमड़ती है। तिनसुकिया जिले के बृहत्तर दुमदुमा अंचल में बड़े पैमाने में लोगों को इस आस्था के पर्व में सक्रिय रूप से भागीदारी देखने को मिलती है। अंचल के दुमदुमा , बड़ाहापजान, तालाप धौला,सदिया,काकोपथार, फिलोबाड़ी, लोंगसवाल आदि अंचलो में व्रतधारियों को अर्ध्य देने की सहूलियत के लिए कई संस्था एवं व्यक्तिगत रूप से सुविधार्थ प्रदान करने में तत्पर दिखाई पड़ रहे हैं।