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पटना, 16नवंबर (अनिल मिश्र)।लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी चरम पर है। कल शनिवार यानी 17नवंबर को नहाय खाय से शुरु होकर सोमवार 20नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ-साथ पूजा पाठकर छत्तीस घंटे का उपवास के बाद पारण के साथ व्रत खत्म किए जाएँगे।यह महापर्व बिहार के लोक जीवन से जुड़कर महान आस्था का पर्व माना जाता है। इसी कारण बिहार के लोग इस महापर्व के अवसर पर अपने -अपने घरों में हीं रहकर मनाने का जरूर प्रयास करते हैं। वैसे तो यह महापर्व बिहार सहित देश के अन्य जगहों सहित विदेशों में भी मनाए जाते हैं। मगर अपने पैतृक गांव या घर में मनाने की तमन्ना हर बिहारी लोग रखते हैं। इसी कारण अपने घरों से निकल कर जीविकोपार्जन हेतु देश के कोने -कोने में रहने वाले बच्चे से लेकर युवा, बड़े-बुजूर्ग और महिलाएं इस महापर्व में अपने घरों में जरूर आते हैं। यह सिलसिला छठ पर्व शुरू होने के साथ से चला आ रहा है। अपनी रोजी रोटी के तलाश में या जीविकोपार्जन के लिए बिहार छोड़कर काफी संख्या में लोग दिल्ली, मुम्बई, कोलकात्ता, चेन्नई, सुरत, लुधियाना, पंजाब, हरियाणा सहित देश के कोने कोने में लोग रहते हैं। वहीं काफी संख्या में यहां के लोग दूसरे प्रदेशों में रहकर अपनी योगदान सरकारी सेवा में दे रहे हैं। उनका भी छठ करने का लगाव अपने पैतृक घर में हीं रहता है। हालांकि अपने रोजगार के साथ-साथ लोग दूसरे जगहों पर लोग अपने घर बना भी लिए हैं। लेकिन छठ के अवसर पर अपनी मिट्टी को जरुर याद करते हैं। इसी कारण बिहारी लोग बड़े शहरों में वे अपने बने भव्य मकान को भी अक्सर डेरा हीं बोलने से नहीं कतराते। जहां एक तरफ बिहार के लोगों को छठ के मौके पर अपने गांव घर जाने कि जल्दी है, वहीं चार माह पहले रेल का रिजर्वेशन लेने के बाद भी मारामारी करनी पड़ रही है। किसी का वेटिंग सौ है तो किसी को भीड़ के कारण काफी परेशानी हो रही है। आलम यह है कि दिल्ली से लेकर कोलकात्ता, मुम्बई से लेकर चेन्नई, लुधियाना से लेकर अहमदाबाद और सूरत से पटना-गया सहित बिहार आने वाले ट्रेनों में लोग भेड़ बकरी की तरह भरकर आ रहे हैं। इतना हीं नहीं रेल के शौचालय से लेकर पौदान तक बैठ कर अपने घर पहुंचने को लेकर आतुर हैं। हलांकि इस त्योहार के देखते हुए रेलवे ने लगभग 300सवारी गाड़ी चलाई है। वहीं इन गाड़ियों द्वारा लगभग 900फेरा लगाये जाने की सूचना प्राप्त हुई है। वहीं इस महापर्व के अवसर पर हवाई सेवा भी काफी महंगे हुए हैं। जहां पटना से दिल्ली सफर करने के लिए आमतौर पर 3500रुपये से 5हजार तक लगता है। वहीं इस समय 20हजार रुपये लग रहे हैं। वहीं बंगलूर से पटना 6से 7हजार लगते हैं। यहां अभी तीन गुणा बढ़ा है। जबकि पटना से मुम्बई का भी तीन से चार गुणा का इजाफा होने के बाद भी इन टिकटों के लिए मारामारी मची हुई है। इस तरह देश के कोने कोने से बिहार आने वाले लोगों को पहली बार इस तरह की कठिनाई से सामना नहीं करना पड़ रहा ।ये सिलसिला वर्षों से चली आ रही है। एक यहां की सरकार जिम्मेवार है,जो यहां रोजगार नहीं रहने के कारण लोग दूसरे जगह अपनी रोजी रोटी के लिए किसी तरह अपने घर गांव छोड़कर जातें हैं। दूसरी तरफ केन्द्र की सरकार भी जिम्मेदार है। सरकार किसी की हो, इस महापर्व छठ के अवसर पर रेलवे द्वारा पहले से हीं भारी संख्या में गाड़ी चलाने और बोगी बढ़ाने का काम क्यों नहीं स्थाई तौर पर करती है। जबकि राज्य में सरकार और केंद्र में सरकार किसी का भी बदलते रहे। यहां छठ की महत्ता कभी भी नहीं घटती या बदलती है। इसीलिए राज्य सरकार और केन्द्र दोनों का कर्तव्य बनता है कि इस संबंध में प्रति वर्ष होने वाले परेशानी और बदइंतजामी का कोई ठोस कदम उठाए।