शिलचर- मुनिश्री प्रशांत कुमार जी, मुनिश्री कुमुद कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम शिलचर द्वारा संबोध कार्यशाला के अन्तर्गत ” वंदना खोले, विकास द्वार” का आयोजन हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा – वंदना से व्यक्तित्व को निखार सकते है।अपने आप को ऊंचाईयों पर ले जा सकते है। कितने कितने लाभ वंदना करने से मिल जाते है। कर्म क्षीण होते है। पुण्य का बंध होता है। व्यवहार, स्वभाव में जो नीचता होती है उससे छुटकारा मिलता है। दृष्टिकोण उदात्त बनता है। हृदय उदार बन जाता है। जिसका दिल दिमाग संकुचित होता है वह नीच प्रवृत्ति वाला होता है। वंदना से व्यक्ति का जीवन महान बनता है,वह किसी का अपमान नहीं करता है। सभी का सम्मान करता है।
भगवान महावीर ने छ: आवश्यक बताएं है – सामायिक,चतुर्विंशतिस्तव, वंदना, प्रतिक्रमण,प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग।ये छः आवश्यक सभी को प्रतिदिन करने चाहिए। विधि से की गई वंदना ही सार्थक होती है।अविधि से की गई वंदना से व्यक्ति दोष का भागी बनता है।तीर्थंकर सबसे बड़े विघ्न विनाशक होते है।उनकी ऊर्जा हमें मिलती है जिससे हमारा सौभाग्य बढ़ता है।
मुनिश्री कुमुद कुमार जी ने कहा – अभिवादन एक शिष्टाचार है।जैन धर्म में वंदना का अपना महत्व है। छः आवश्यक में वंदना एक है। वंदना से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ मिलता है। वंदना वैज्ञानिक पद्धति है। वंदना हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।आध्यात्मिक दृष्टि से वंदना से विनयभाव विकसित होता है।अहंकार छूटता है।कर्मों की निर्जरा हो जाती है।नरक केआयुष्य को कम कर देता है। व्यक्ति शारीरिक,मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करता है।सोच सकारात्मक बनती है। सकारात्मक दृष्टिकोण वाला अपनी शक्ति, समय का नियोजन सही दिशा में करता है।
सहमंत्री सुमित सेठिया ने बताया – कार्यशाला का शुभारंभ टीपीएफ गीत से हुआ। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष प्रमोद कुमार पटावरी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। आचार्य तुलसी महाश्रमण रिसर्च फाउंडेशन के मंत्री अजय भंसाली ने विचार प्रस्तुत किए। गुवाहाटी से समागत श्राविकाओं ने गीत प्रस्तुत किया। आभार टीपीएफ मंत्री विवेक मरोठी ने किया। कार्यशाला का संचालन सहमंत्री श्रीमती रुचि मरोठी ने किया।




















