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वर्ष 2021 : असम में नए राजनीतिक युग का आगाज़

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वर्ष 2021 : असम में नए राजनीतिक युग का आगाज़वर्ष 2021 : असम में नए राजनीतिक युग का आगाज़

गुवाहाटी, 31 दिसंबर (श्रीप्रकाश)। वैसे तो बीते वर्ष 2021 को कोरोना महामारी की चपेट में छटपटाता हुआ वर्ष कहा जा सकता है। लेकिन, इस वर्ष का सकारात्मक पहलू असम के परिपेक्ष में कुछ अलग है। यहां इस वर्ष एक नए राजनीतिक युग का आगाज हुआ है। लोगों को एक नई तरह की राजनीति देखने को मिली। दशकों से चली आ रही राजनीति से हटकर कुछ दिखा। राजनीति का जो ध्रुवीकरण इस वर्ष असम में हुआ ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। “का” आंदोलन की पृष्ठभूमि में इस वर्ष संपन्न हुए चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल हुई। चुनाव के दौरान भाजपा के जीत का परचम लहराने वाले नेता डॉ हिमंत विश्व शर्मा मुख्यमंत्री बने। जेल में बंद मीडिया के जरिए हमेशा ही आंदोलन की राजनीति करने वाले वामपंथी नेता अखिल गोगोई इसी वर्ष चुनाव में जीतकर विधानसभा में पहुंच गए।

डॉ शर्मा अपने सभी विरोधियों को ठेंगा दिखाते हुए मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गए। उनका मुख्यमंत्री बनना ही अपने आप में एक बड़ी बात थी। क्योंकि, इसे यूं कहा जा सकता है कि डॉ शर्मा ने अपनी मेहनत के बल पर मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन कर ली। चुनाव के दौरान उन्होंने अपने सभी समर्थकों को पार्टी की टिकटें दिलाई। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने इन सभी समर्थकों को मंत्री से लेकर तमाम महत्वपूर्ण पद दिए। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जिस प्रकार की राजनीति शुरू की वह, अपने आप में सबसे अलग हटकर थी।

मुख्यमंत्री के एक बेहद करीबी भाजपा नेता का कहना है कि डॉ शर्मा टीम बना कर चलते हैं। उन्होंने किया भी ऐसा ही । मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपनी टीम को साथ लेकर आगे बढ़ते रहे। मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से लेकर आज तक हर दिन उनकी गतिविधियां जारी रही। बल्कि, यूं भी कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से आज तक डॉ शर्मा भागम-भाग में लगे हुए हैं। हर स्तर पर शासकीय सक्रियता देखी जा रही है। चाहे वह पुलिस महकमा हो या फिर प्रशासनिक- हर जगह मुख्यमंत्री की छड़ी दिख रही है।
इसमें कोई शक नहीं कि राज्य में आज भी महंगाई, भ्रष्टाचार आदि पर कोई भी नियंत्रण नहीं हो सका है। लेकिन, एक भय का माहौल अवश्य बना हुआ है। खासकर अपराधियों के बीच हलचल मची हुई है। ड्रग्स को लेकर सरकार ने जो सख्त कदम उठाया, वह अपने आप में ऐतिहासिक है। चाहे वह दिसपुर का सचिवालय हो या फिर आम कार्यालय- हर जगह नई हवा चल रही है। डॉ शर्मा की टीम पूरे तंत्र पर हावी है।

सही अर्थों में देखा जाए तो लोकतंत्र में तानाशाह शासक का होना एक प्रकार से आवश्यक है। लेकिन, तानाशाही के साथ निरंकुशता नहीं हो इसपर ध्यान देने की जरूरत है।अपराध पर नियंत्रण करना आवश्यक है, लेकिन ऐसा करते हुए पुलिस अपनी सीमा में रहे इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
कुल मिलाकर देखा जाए तो हर तरफ प्रशासनिक चुस्ती दिख रही है। हर कोई मुख्यमंत्री की ओर देख रहा है। मुख्यमंत्री से लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ गई है। एक समय था जब डॉ शर्मा तरुण गोगोई के समय में मुख्यमंत्री से ऊपर बढ़-चढ़कर शासन का कार्यभार संभालते थे। अब जबकि, वे स्वयं कर्ता-धर्ता बन गए हैं- ऐसे में लोगों की आकांक्षा में वृद्धि होना भी स्वाभाविक ही है।

कल तक जो डॉ शर्मा की आलोचना किया करते थे, आज व उनके सबसे बड़े समर्थक दिख रहे हैं। लोग यह भी कहते हुए सुने जाते हैं कि यह हिमंत का नया अवतार है।
वर्ष 2021 की अन्य सभी घटनाक्रमों से बड़ी घटना है डॉ शर्मा का मुख्यमंत्री बनना। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से राज्य में एक से बढ़कर एक योजनाएं बनाई जा रही है। राज्य की विपक्षी पार्टियां भले ही चुनावी ध्रुवीकरण का लाभ उठाकर विधानसभा में कुछ संख्या जुटा पाई हो। लेकिन, सच्चाई तो यह है कि डॉ शर्मा ने विरोधियों के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं है। विरोधियों के कहने से पहले ही वे रास्ता अख्तियार करते हुए देखे जा रहे हैं। यही वजह है कि आज विरोधी भी उनकी तारीफ करते हुए देखें रहे हैं।

चाहे वह कांग्रेस हो या फिर एआईयूडीएफ- हर दल में डॉ शर्मा की तारीफें हो रही है। अपने मंत्रिमंडल को भी जिस प्रकार से डॉक्टर शर्मा ने नियंत्रण में रखा है वह बीते कई दशक में देखा नहीं गया था। हर तरफ इस प्रकार की चर्चा हो रही है। लोग हर दिन नई आशा के साथ मुख्यमंत्री की ओर देखते हैं। राज्य की विपक्षी पार्टियों में लगातार सेंध लगती जा रही है।

जिस प्रकार पूरे पूर्वोत्तर में एक के बाद एक राज्य में भाजपा की जीत का परचम डॉ हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व में लहराया उसी प्रकार का सिलसिला असम में भी बरकरार रखने के बाद उनका कद काफी ऊंचा हो चुका है। राज्य की जनता में न सिर्फ उनकी इज्जत बढ़ी है, बल्कि लोगों को परिवर्तन की एक आशा दिखी है। वर्ष 2021 में परिवर्तन का आगाज हो चुका है। ऐसी उम्मीदें की जा रही है कि वर्ष 2022 असम की राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा। (कार्यकारी संपादक)

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