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जुम्मन खान अटपटे काम करता ना काम ना पढाई। जगह जगह बदनाम होने के साथ साथ घर खेत बेचकर माँ बाप बचाते रहे। माँ बाप ने अनपढ़ लङकी के साथ काफी छोटी उम्र की लङकी की शादी इसलिए कर दी क्योंकि ऐसे अधिक उम्र के लङके के साथ कौन शादी करता। जुम्मन की पत्नी साजिदा ऐस करने लगी। धीरे धीरे सात बच्चों की माँ बन गयी। पति प्रदेश मे काम करने जाता तो सास के साथ ग्रह ग्रहस्थी का काम सीखने शिष्टाचार मुलाक़ात करने मे निपूण हो गई।
संतान अधिक होने के कारण कुछ पढ़े कुछ अवसर देखकर ब्याह दिए गए। कुछ मूंह चढे बच्चे थे तो कुछ शांत। जुम्मन काम छोड़ कर इधर उधर छोटे काम करने लगा तो अच्छी संगत के कारण धर्म कर्म भीतर करता। लेकिन अपनी आदत ना छोङने के कारण गाँव छोङना पङा। जाने से पहले अपनी दुकान घर खेत अपने परिवार के नाम कर गया।
जब देहांत हुआ तो पूरा परिवार इकट्ठा हुआ तो वसियत देखकर उसकी पत्नी एवं लालची बच्चे बिफर पङे। कुछ लोग लेने के पक्ष मे तो कुछ लेने से इनकार कर दिया।
छोटा भाई सदीक बोला कि हकीकत यह है कि सारी संपत्ति भैया के कारण ही खत्म हुई एक दिन जब हम लोगो मे तकरार हुआ तो सुंदर भाषा मे पंचायत के सामने लिखी। तुम लोग यदि संपन्न हो अथवा पिता की वसियत देखकर बिना हिचकिहाट छोड़ दो नहीं तो कोर्ट कचहरी मे घूमते रहना।
सबने गिरगिट अंदाज मे दूर्व्यवहार की माफ़ी मांगकर वसियत पर ना जाने का आग्रह किया। दादी बेगमा ने कहा कि तुम सभी संपन्न हो ना तो यह संपत्ति जुम्मन की थी ना ही तुम्हारी इसलिए यह वसियत की संपत्ति गौशाला मे देदो नहीं तो तीनों बहिनों को।
दादी माँ के फैसले से सब तैयार हो गये। आज पूरा खानदान गायों को नहला दुहलाकर पूजन किया तथा जुम्मन की संपत्ति गौशाला मे दान की गई। गौभक्त जुम्मन का जय जयकारा लगने लगा।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653





















