Varanasi News: वाराणसी में साइबर अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। खास बात यह है कि शिक्षित लोग ही शातिरों का शिकार हो जा रहे हैं। बीएचयू के रिटायर्ड एचओडी से लगभग 42 लाख की ठगी हो गई। पता चलते ही उन्होंने मामला थाने में दर्ज कराया। ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के रेडियोथेरेपी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप शाही से साइबर जालसाजों ने 42 लाख 70 हजार रुपये ऐंठ लिए। घटना के संबंध में डॉ. शाही की तहरीर के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।चितईपुर थाना के सुसुवाही क्षेत्र की गौतम नगर कॉलोनी में रहने वाले डॉ. उदय प्रताप शाही ने बताया कि वह 13 अप्रैल, 2024 को मनीसुख स्टॉक स्टडी ग्रुप से जुड़े थे। वीरेंद्र मनसुखानी ग्रुप के मुख्य शिक्षक और अदिती सिंह सहायक थीं।मनसुखानी की सलाह पर ग्रुप के कई सदस्यों ने लाभ कमाने के लिए निवेश करना शुरू किया। आईपीओ में निवेश करने पर 200 से 300 प्रतिशत तक की लाभ कमाने की बात कही गई थी। जून महीने के दूसरे हफ्ते में उन्होंने भी मनीसुख मास्टर अकाउंट खुलवाया और निवेश करना शुरू किया।
धीरे-धीरे जालसाजों के झांसे में आकर उन्हें 42 लाख 70 हजार रुपये दे दिए। जब उन्होंने पैसा निकालना चाहा तो उन्हें बताया गया कि उनके खाते में दो करोड़ 98 लाख 19 हजार 674 रुपये बैलेंस है। फिर, बताया गया कि बोक्ररेज फीस के रूप में 14 लाख 90 हजार 983 रुपये देने होंगे तभी फंड आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा। उन्होंने कई बार अनुरोध किया कि बोक्ररेज फीस उनके फंड से काटकर बाकी रकम लौटा दी जाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तब जाकर उन्हें विश्वास हुआ कि वह साइबर क्राइम के शिकार हुए हैं।
निवेश कराकर 18.25 लाख की चपत लगाई
राजमंदिर, ब्रह्माघाट निवासी रोहित कुमार गुप्ता को साइबर जालसाजों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर बेहतर मुनाफे का झांसा दिया। इसके बाद क्वाइनडेक्स क्रिप्टो करेंसी का लिंक भेज कर निवेश करने के लिए कहा गया। जालसाजों के झांसे में आकर रोहित ने 18 लाख 25 हजार 991 रुपये का निवेश किया। जब उन्होंने अपना पैसा निकालना चाहा तो जिनसे बातचीत होती थी उन्होंने मोबाइल ही स्विच ऑफ कर लिया। रोहित की तहरीर के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।मेडिकल कॉलेज में एडमिशन का झांसा देकर 12 लाख ठगे
श्रीनगर कॉलोनी, पहड़िया की रहने वाले माधुरी दूबे को उनके बेटे का एडमिशन मेडिकल कॉलेज में कराने का झांसा देकर जालसाज ने 12 लाख रुपये ऐंठ लिए। घटना के संबंध में साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
माधुरी दूबे ने पुलिस को बताया कि घनश्याम उपाध्याय नाम का व्यक्ति खुद को मेडिकल कॉलेज का अधिकारी बताते हुए उनसे कहा कि आपके बेटे का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करा दूंगा। एडमिशन और ट्यूशन फीस के नाम पर अपने दो अकाउंट में 12 लाख रुपये ले लिया। बाद में पता चला कि उसके द्वारा जो दस्तावेज दिखाए गए थे वो वो फर्जी थे।
छात्र के साथ 75 हजार की जालसाजी, मुकदमा दर्ज
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भगवान दास छात्रावास में रहने वाले छात्र ज्ञानेंद्र कुमार पांडेय के बैंक खाते से 75000 रुपये जालसाज ने निकाल लिए। छात्र की शिकायत पर लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। ज्ञानेंद्र के अनुसार टेलीग्राम एप के माध्यम से मैसेज भेज कर उसे निवेश के लिए प्रेरित किया गया।
शुरुआत में 1000 रुपये निवेश करने पर 1500 रुपये मिले। फिर, 2000 रुपये के निवेश पर 2700 रुपये मिले। इसके बाद 75 हजार रुपये यूपीआई के माध्यम से निकाल कर उसका अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया।
पढ़े-लिखे संपन्न लोग हो रहे शिकार
13 मार्च 2024 : रथयात्रा क्षेत्र की रिटायर्ड शिक्षिका शंपा रक्षित को ट्राई, मुंबई के विले पार्ले थाने और आरबीआई की कार्रवाई की धमकी देकर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया। इसके बाद उनके खाते से तीन करोड़ 55 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए।
24 जून 2024 : गणेश नगर कॉलोनी, पांडेयपुर निवासी कुमार सिद्धार्थ को शेयर मार्केट में निवेश पर बेहतर मुनाफे का झांसा जालसाजों ने दिया। इसके बाद उनसे निवेश करा कर 35 लाख 75 हजार 943 रुपये जालसाज हड़प लिए।
21 जून 2024 : बीएचयू के रेडियोथेरेपी डिपार्टमेंट की डॉ. साश्वती साहू के पास जालसाज ने खुद को टेलीकॉम विभाग से बताते हुए फोन किया। इसके बाद नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उनसे पांच लाख 10 हजार रुपये की ऑनलाइन अवैध वसूली की गई।
18 जून 2024 : गौरीगंज निवासी तेजस्वी शुक्ला को कीया मोटर्स कंपनी की एजेंसी दिलाने का जालसाजों ने झांसा दिया। एजेंसी संबंधी फर्जी कागजात ऑनलाइन भेजे। इसके बदले में तेजस्वी के साथ 71 लाख 80 हजार रुपये की ठगी की गई।
फर्जी वेबसाइट बनाकर एजेंसी और फ्रेंचाइजी देने के नाम पर करते थे फ्रॉड
नामी कंपनियों के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर एजेंसी या फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन फ्रॉड करने के आरोप में दो अंतरराज्यीय आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। दोनों की पहचान बिहार के नालंदा जिले के बरीठ गांव के पंकज कुमार और भैदी, कटौना के सन्नी कुमार के रूप में हुई है।
दोनों के पास से दो लाख 14 हजार रुपये, चार मोबाइल और रिवोल्ट मोटर्स, श्री लेदर, पतंजलि, एमआरएफ टायर, मदर डेयरी, मैकडोनाल्ड, मोगिनिस, केएफसी, कचरा सेठ, आईटीसी, हिमालया, हल्दीराम, फॉर्च्यून और अडानी गैस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फर्जी कागजात और इनवॉइस बरामद हुए हैं।
भोजूबीर निवासी धीरेंद्र बहादुर सिसोदिया ने पांच जून 2023 को साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। धीरेंद्र बहादुर के अनुसार रिवोल्ट मोटर्स की एजेंसी दिलाने के नाम पर फर्जी वेबसाइट के माध्यम से उनसे पांच लाख 25 हजार 500 रुपये की ऑनलाइन ठगी की गई है।
डीसीपी वरुणा जोन / क्राइम चंद्रकांत मीना ने बताया कि घटना के खुलासे के लिए साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र के नेतृत्व में इंस्पेक्टर राज किशोर पांडेय व राकेश कुमार गौतम और हेड कांस्टेबल आलोक कुमार सिंह व श्यामलाल गुप्ता की टीम काम कर रही थी। सर्विलांस व डिजिटल फुट प्रिंट के आधार पर घटना में शामिल दो अंतरराज्यीय साइबर जालसाजों को चिह्नित कर गिरफ्तार किया गया
वेब डेवलपर के माध्यम से बनवाते थे फर्जी वेबसाइट
डीसीपी वरुणा जोन/ क्राइम सरवणन टी ने बताया कि आरोपी वेब डेवलपर के माध्यम से ब्रांडेड कंपनियों की ओरिजिनल वेबसाइट से मिलती-जुलती हुई फर्जी वेबसाइट और ईमेल बनवाते हैं। फिर उस फर्जी वेबसाइट को मेटा एड्स, गूगल एड्स और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के माध्यम से प्रमोट कराते हैं।
फ्रेंचाइजी/ एजेंसी की चाह रखने वाले लोगों की लीड इस वेबसाइट के वेब मेल में प्राप्त होती है। प्राप्त डेटा को फिल्टर कर यह लोग कॉल कर अपने झांसे में लेकर कंपनी के फर्जी कागजात भेजकर विश्वास में लेते हैं।
फिर, उनसे रजिस्ट्रेशन फीस, जीएसटी फीस, सिक्योरिटी मनी का हवाला देते हुए कथित कंपनी के फर्जी बैंक खातों में ऑनलाइन पैसा मंगवाते हैं। उस पैसे को अपने साथियों के माध्यम से एटीएम या सीएसपी के माध्यम से निकाल कर बांट लेते है।
फर्जी जीएसटी बिल के लिए जीएसटी काउंसिल, एनओसी के लिए एनओसी, आरबीआई का मैसेज भेजने के लिए एफएआरबी और बैंकिग के मैसेज के लिए सीटीसी नामक फर्जी एंड्रायड एप्लीकेशन का प्रयोग किया जाता है। इन एप के माध्यम से मात्र 20 सेकेंड के अंदर फर्जी बिल बनाकर लोगों को भेजा जाता है।