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विकसित भारत की आधारशिला वाला बजट — पूजा सेजवाल

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मोदी सरकार के इस बजट में एक बदलता हुआ भारत और सरकार के बदलते हुए दृष्टिकोण को देखा जा सकता है। कोविड महामारी के बाद अब ये बजत साफ तौर पर ये संदेश दे रहा है कि अब विकास की जिम्मेदारी सरकार ने काफी हद तक निजी क्षेत्र को सौप दी है। बुनियादी ढांचे पर किया जाने वला खर्च इसका स्पस्ट उदाह्रण है। सरकार ने पुंजीगत व्यय में 10 प्रतिशत कीबढोतरी की है जो इस बात को और बल प्रदान करता है।

50.65 लाख करोड़ का ये बजट काई मायनो में खास है।ये बजट मंदी की अनिश्चितिता को समाप्त करने वाला है जिसमें ना केवल मध्यम वर्ग बल्कि किसान, मकान और दुकान के साथ साथ महिलाओ और उद्योग को भी ध्यान में रखा गया है साथ ही भविष्य के भारत के लिए एक मजबूत आधार भी रखा गया है। मध्यम वर्ग हमारे देश का एक बड़ा वर्ग है और आज देश की कुल आबादी का 31 प्रतिशत इस वर्ग का माना जाता है और अनुमान है कि 2030 तक इसमे 7.5 करोड़ लोग और जुड़ जाएंगे इसके अलावा 2046-47 तक मध्यम वर्ग 100 करोड़ से भी अधिक होम जाएगा। सरकार ने अप्रत्यशित रूप से आय कर मे बद्लाव कर , इस वर्ग को बहुत बड़ा सुख दिया है। 12 लाख तक की आय पर कोई कर ना देना निश्चित रूप से आयकरदतों को बड़ा फ़ायदा देने वाला है। इस से ना केवल वेतंभोगी वर्ग को राहत मिलेगी बल्की बजार मांग भी बदेगी। किसानों की चिंता इस बजट में सरकार की प्राथ्मिक्ता है इसे भी देखा जा सकता है। देशभर में 10 करोड़ से अधिक किसान परिवार है और देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 15 प्रतिशत है। बढ़ते परिवार और घटते जोत के बीच खेती, किसानों के लिए गुड़वता पूर्ण जीवन चुनौति पूर्ण होता जा रहा है।

सरकार ने प्रधानमंत्री धन धान्य योजना की घोषणा की, जिस से किसानों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। इसके लिए अतिरक्त किसान क्रेडिट कार्ड ऋण की सीमा 3 लाख से  बढ़कर 5 लाख रुपये होना काफी सुखद है। सर् कार को राजस्व प्राप्तियो से 34,20,409 रुपये मिलेंगे और 16,44,936 रुपये की पूंजिगत प्राप्ति होगी। राजकोषीय घाटे को 4.4 प्रतिशत पर रख कर सरकार ने राजकोषीय अनुशासन का भी संदेश दिया है। युवा शक्ति को ध्यान में रखते हुए बजट में सरकार ने शोध एवं विकास को मजबूत करने के लिए इकोसिस्टम तैयार करने का निर्णय लिया है जिसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जगार की चुनौतियाँ का भी सरकार ने संज्ञान लिया है इसीलिये श्रम की जादा खपत वाले क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन देने का प्रयास किया गया है जैसे लेडर ऑट नैन लेडर फ़ुटवियर को मिशान मोड में आगे बढ़ने की बात कहीं गई है।खिलौना उद्योग पर भी बनाओ भारत में किसी को भी धोखा देने के साथ उद्योग को नये आयाम देने की तैयारी है। खाद्य प्रसंस्करण में संभावनाओं का दोहन करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, इनके केंद्र में पूर्वी भारत को रखा गया है।

रोजगार सृजन की कढ़ाई में गिग वर्कर्स की भी सरकार ने सुधार किया है, उनके लिए विशेष पहचान पत्र और उनके इलाज के लिए समुच्चित उपाय का प्रावधान भी रखा गया है। निर्माण गतिविधियों को भी नई ऊर्जा के साथ धार देने की तैयारी है। बजट में जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन, जनसंख्या नियोजन, नारी सशक्तीकरण, स्वस्थ एवं सुशिक्षित समाज को महत्व दिया गया है। आर्थिक सर्वे में ये कहा गया था कि उद्योग को महँगी बिजली मिल रही है यह ध्यान रहे कि गरीब तबके को मुफ्त बिजली देने की वजह से अधिकंश राज्य के बिजली बोर्ड बड़े पैमाने पर घाटे में चल रहे हैं। बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के लिए वर्ष 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट परमाणु बिजली भुगतान करने का लक्ष्य रखा गया है। बजत या संदेश दे रहा है कि सरकार देश में जो आर्थिक सुस्ती दिख रही है उससे निपटने को तैयार है लेकिन इसके साथ ही हम इस बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे पता चले कि सरकार चीन से मिलने वाली चुनौतियो को भी स्वीकार कर उस से निपटने के लिए तैयार है।

पूजा सेजवाल
आर्थिक विश्लेशक,
नई दिल्ली

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