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प्रीतम दास, हाइलाकांदी २० जून: विद्यालय को जहाँ ज्ञान का मंदिर माना जाता है, वहीं हाइलाकांदी ज़िले के टेमपुर क्षेत्र स्थित 12 नंबर पैकन निम्न प्राथमिक विद्यालय से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। इस घटना ने न सिर्फ अभिभावकों को बल्कि पूरे जागरूक समाज को स्तब्ध कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय चलने के समय शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर बाजार भेजा—वह भी मिड-डे मील (मध्यान्ह भोजन) की सामग्री खरीदने के लिए। यह दृश्य जब मीडिया के कैमरे में क़ैद हुआ, तब पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान गर्मी को देखते हुए राज्य सरकार ने विद्यालयों की समय-सारणी में बदलाव कर सुबह का समय निर्धारित किया है ताकि बच्चों को अधिक गर्मी में कष्ट न हो। लेकिन संबंधित विद्यालय में शिक्षक विजय दास ने इस निर्णय का लाभ छात्रों को देने के बजाय उन्हें क्लास के समय ही बाजार भेज दिया।
वीडियो फुटेज में स्पष्ट रूप से देखा गया कि कुछ नाबालिग छात्र-छात्राएँ चावल, दाल, तेल जैसी सामग्री लेकर विद्यालय लौट रहे हैं। कैमरे के सामने उन्होंने कहा—“सर ने हमें बाजार भेजा है, वो खुद पढ़ा रहे थे इसलिए जा नहीं पाए।”
जब पत्रकारों ने शिक्षक विजय दास से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने शुरुआत में घटना से इंकार किया। बाद में उन्होंने कहा कि बच्चे उनके ‘घरेलू’ सामान लाने गए थे। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है—एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक किस अधिकार से विद्यालय समय में छात्रों को अपने व्यक्तिगत कार्य के लिए भेज सकते हैं? यह केवल नैतिक नहीं, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय अपराध है।
इस घटना को लेकर स्थानीय निवासियों और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है—“ऐसे शिक्षक विद्यालय की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे हैं। जो अपने कर्तव्यों को नहीं समझते, उन्हें शिक्षक बने रहने का कोई अधिकार नहीं।”
फिलहाल यह मामला ज़िला प्रशासन और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की नज़र में आ चुका है। जानकारी के अनुसार, स्थानीय प्राथमिक शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और संबंधित शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की माँग उठाई गई है।
गौरतलब है, विद्यालय के संचालन के दौरान बच्चों को बाजार भेजना केवल अनैतिक ही नहीं, बल्कि यह बाल सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत एक गंभीर और दंडनीय अपराध है।
अब देखना होगा कि ज़िला प्रशासन इस शिक्षक के खिलाफ क्या कदम उठाता है और कार्रवाई कितनी जल्दी अमल में लाई जाती है।





















