सिलचर, 2 अप्रैल: इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) बराक बेली चैप्टर और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कछार शाखा के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) में एक विशेष संगोष्ठी और जागरूकता रैली का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख चिकित्सकों, छात्रों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया।
जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. प्रियंका देव ने कहा कि शिशु के पहले 1,000 दिन उसके संपूर्ण विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने इस दौरान बच्चों की उचित देखभाल और अनुकूल वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. देव ने यह भी कहा कि आजकल “सामान्य” या “असामान्य” जैसी परिभाषाओं पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और समाज को समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ. पिनाकी चक्रवर्ती और डॉ. अंगशुमान भट्टाचार्य सहित कई प्रमुख विशेषज्ञों ने ऑटिज्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले भाषण दिए। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म एक तंत्रिका संबंधी और विकासात्मक विकार है, जिसकी पहचान और उचित देखभाल से इसे प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. सी. शर्मा, डॉ. विकास शांडिल्य, डॉ. नजमुल, डॉ. डॉली रॉय सहित एसएमसीएच के स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र भी उपस्थित रहे।
विश्व ऑटिज्म दिवस के उपलक्ष्य में आईएमए और आईएपी द्वारा एसएमसीएच परिसर में एक जागरूकता रैली भी निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में चिकित्सकों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस वर्ष का थीम था—“वे भिन्न हैं, पर कम नहीं” (They are different, not less), जो समाज में समावेशिता और जागरूकता को बढ़ावा देने का संदेश देता है।