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” विश्व पर्यावरण दिवस ” ( आओ मनाएं हर दिन ” पर्यावरण दिवस ” )

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जैसा कि हम सब जानते हैं विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। एक दिन ऐसा होना भी चाहिए कि हम सब हमारे अपने पर्यावरण की चिंता करें , पर्यावरण की सुरक्षा करें, बहुत सारे पेड़ लगाए …. और हम सब करते भी हैं।
पेड़ लगाकर हम अपने पर्यावरण को  हरा भरा रख सकते हैं, सुंदर रख सकते हैं और कुछ हद तक सुरक्षा भी प्रदान कर सकते हैं। मगर पेड़ लगाना इकलौता पर्यावरण की सुरक्षा का आधार नहीं होना चाहिए। अगर हम सब अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में थोड़ा सा ध्यान दें , कुछ दो- तीन बातें अपना ले तो हम अपने पर्यावरण की देखरेख , बचाव और सुरक्षा हेतु अपना बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।
  सबसे पहले आते हैं ” प्लास्टिक ” पर ,  अगर हम सप्ताह में एक बार घूमने जाते हैं और  प्लास्टिक की पानी की बोतल यूज़ करते हैं जो साल भर में एक आदमी तकरीबन 50 बोतले यूज करता है इसकी जगह हम अपने घर से पानी की बोतल अपने साथ लेकर जाएं  तो “बीट द प्लास्टिक” जो इस वर्ष की थीम है , हम उसे अपना सकते हैं। अगर हमारे व्यवसाय या घर के आगे कोई जूस वाला खड़ा हो तो पेपर ग्लास के बदले हम अपने घर के गिलास में उससे जूस  ले सकते हैं। सीधी सी बात है जहां पेपर ग्लास कम यूज होंगे , वहां पेड़ों की कटाई कम होगी । और पेड़ लगाओ के साथ-साथ पेड़ बचाओ पर भी मदद होगी ।
हम अपने घर की इलेक्ट्रिसिटी बचाते हैं क्योंकि बिल्स ज्यादा ना आए मगर धर्मशाला, पार्टी हॉल्स ,ऑफिस केबिन, कॉन्फ्रेंस रूम्स से बाहर आते वक्त नहीं सोचने क्योंकि उनका बिल हमें पेमेंट नहीं करना पड़ता ‌। अगर हम सामूहिक जगहों में भी स्विच ऑफ करने की आदत डालें तो हम इलेक्ट्रिसिटी वेस्ट होने से बचा सकते हैं , रिसोर्सेज वेस्ट ना हो यह भी पर्यावरण सुरक्षा का ही हिस्सा है ।
आजकल एक नारा बहुत प्रचलित हो रहा है “इतना ही लो थाली में …व्यर्थ ना जाए नाली में ” इसमें हम 2 लाइनें और जोड़ दें “इतना ही पकाओ..  जितना खा व खिला पाओ”
तब हम पका खाना के साथ-साथ अनाज की बर्बादी पर भी रोकथाम लगा सकते हैं। हम सब जानते हैं कोई भी अनाज खाने के लिए तैयार होने तक कम से कम 3 महीने लेता है । और पकाया गया खाना 2 दिन में खराब हो जाता है । किसान अनाज की पूर्ति के लिए अनगिनत केमिकल्स फ़र्टिलाइज़र के रूप में देते हैं । जो कि पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाता है ।
इसलिए भले ही हम अनाज खरीदने में सक्षम है मगर हमें बर्बादी करने का हक नहीं है । इसी तरह अगर हम वाहनों का यूज भी एफिशिएंट तरीके से करें तो पॉल्यूशन रोकथाम के साथ-साथ हम नेचुरल रिसोर्सेज को भी खत्म होने से बचा सकते हैं ।
अगर हम इन बातों पर अमल करें तो बिना समय बिना पैसा खर्च किए हम हर दिन पर्यावरण दिवस मना सकते हैं।
स्वरचित : –
बिनीता बुकरेडिया
मारवाड़ी पट्टी , शिवसागर ( असम )

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