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विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी 2021 का असम के जोरहाट शहर में समारोहपूर्वक आयोजन

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आज दिनांक 10 जनवरी 2021 को असम राज्य राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, जोरहाट के तत्वावधान में देवी चरण बरा महिला उच्च विद्यालय के सभागृह में विश्व हिंदी दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर नगालैंड प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के संचालक पक्षधी प्योग तमजन जमीर मुख्य अतिथि किसी कारण से ना आ सके नगालैंड प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के संचालक मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे किंतु स्वास्थ्यजनित कारण से समारोह में न आ सके।
नगालैंड प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सहायक संचालक श्री बालेन जमीर अपनी धर्मपत्री के साथ सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। नगालैंड की वरिष्ठ हिंदी शिक्षिका ताकालीला जभीर अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान दीमापुर केंद्र के प्रभावी क्षेत्रीय निर्देशक श्री चंद्रशेखर चौबे जी ने सदेश भेजकर अपनी उपस्थिति दर्ज की। कोविड से संबंधित सुरक्षा अनुदेशों के अनुपालन के चलते ये समारोह में उपस्थित न हो सके। यूको बैंक, अंचल कार्यालय, जोरहाट के मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) श्री अमरदीप कुलश्रेष्ठ सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने सभा की अध्यक्षता की। मंच संचालन का कार्य यात्रा सुधी स्वस्तिका शर्मा द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया गया।

कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से किया गया। सम्मानित विशिष्ट अतिथियों एवं मंत्री-संचालक, असम राज्य राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, जोरहाट श्रीमती अंजना सभापंडित ने दीप प्रज्वलित किया। सरस्वती वंदना का गायन शंकरदेव शिशु निकेतन के छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया। संचालन स्वस्तिका शर्मा ने किया तथा सभापति और अन्य अतिथिगणों का परिचय कराया। इसके पश्चात मदन गुप्ता ने सभा के उद्देश्य का प्रकाशन करते हुए कहा कि विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी के अंतरराष्ट्रीय भाषा बनने के प्रयास को सर्थक करना है। हिंदी भाषा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भाषा के रूप में संवर्धित करना भी है। इसके पश्चात मंत्री-संचालक श्रीमती सभापंडित ने सभा को संबोधित करते हुए सभी का हृदय से स्वागत किया। विश्व हिंदी दिवस मनाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के दिवंगत पूर्व प्रधान श्रीमान मधुकर राव चौधरी जी के प्रयास से नागपुर में 1945 में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने किया था तथा मारीशस के पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिवसागर राम उसमें मुख्य अतिथि थे। अब तक 11 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं। माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की। तब से यह दिवस मनाया जाता रहा है।

दूसरा विश्व हिंदी सम्मेलन मारीशस में हुआ था, जहां तीन प्रस्ताव दिए गए थे: 1 हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए एक विश्व हिंदी सचिवालय की परिस्थापना की जाए, 2 महाराष्ट्र में एक अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए, 3 संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाओं में हिंदी को भी शामिल किया जाए तथा हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाया जाए क्योंकि प्रवासी भारतीयों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय हिंदी बिरादरी बन चुकी है। मंत्री-सचालक सभापंडित ने बताया कि इन प्रस्तावों में से 2 प्रस्ताव कार्यान्वित हो चुके हैं और सुचारू रूप से उनका कार्य हो रहा है। तीसरे प्रस्ताव के लिए भारत सरकार प्रयासरत है। इसके पश्चात देवी चरण बरुआ उच्च विद्यालय की छात्राओं ने एक देशभक्ति हिंदी गीत “हम पंजाबी…” का समवेत गायन किया। इसके पश्चात “हिंदी विश्व भाषा बनने की ओर विषय पर मुख्य वक्ता श्री मदन गुप्ता ने अपने व्याख्यान में कहा
कि हिंदी प्रारंभ से ही संघयों में जन्मी, पली और बढ़ी है और भारत के अलावा विश्व प्रकल्प में अपना प्रभाव छोड़ रही है। विश्व के शक्तिशाली नेता भी इस बात को कहने लगे हैं। हिंदी का नारा “सबका साथ सबका विकास” बहुत लोकप्रिय है। देश की आजादी की लड़ाई में देश के स्वतंत्रता सेनानियों को एक झंडे तले लाने का कार्य हिंदी ने किया। इसी गुणवत्ता के कारण आजादी के अग्रणी नेताओं ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का निर्णय लिया। यह हिंदी ही है जो भारत के संघीय ढांचे को मजबूती प्रदान कर रही है और करती रहेगी। हमारे देश के गुलाम बनने का एक प्रमुख कारण उन्होंने यह बताया कि अतीत में हमारी कोई संपर्क-भाषा नहीं थी। भारत के एक प्रांत के लोग दूसरे प्रांत की भाषा नहीं समझते थे। नतीजा यह हुआ कि विदेशी आक्रमणकारियों ने इसका लाभ उठाया और हमें पराजित कर हम पर शासन करने लगे। इस मामले में पूर्वोत्तर भारत भी अछूता नहीं रह सका। “मान” का आक्रमण और उनके द्वारा लूटपाट का इतिहास गवाह है। श्री गुप्ता ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी के 3 गुण हैं 1 इसमें एशिया प्रशांत के किसी भी देश की लिपि को विकसित करने की क्षमता है, 2 भारत को एक वृहद कल्याणकारी राज्य बनाने का गुण 3 भारत के संघीय ढांचे को मजबूत बनाने की क्षमता। हिंदी में क्षेत्रीयता की भावना नहीं है। विश्व में हिंदी की स्थिति के संबंध में खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व के 650 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ी और पढ़ाई जाती है। भारत के अलावा इसे नेपाल, फिजी, सूरीनाम, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका जैसे विभिन्न देशों में हिंदी है। कनाडा और इंग्लैंड में हिंदी बोलनेवालों की संख्या अच्छी खासी है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी भी शामिल है। अब जरूरत है मीडिया, फिल्म, व्यापार, बाजार आदि में हिंदी को जनसंपर्क की भाषा के रूप में ले जाने की और उनके वातावरण के अनुरूप हिंदी का प्रयोग करके दिखाने की। हिंदी के जरिए सारे विश्व का भारत के साथ भावनात्मक संपर्क स्थापित हुआ है। रूस से भी बड़ा क्षेत्र विश्व में हिंदी का है।

आज जरूरत इस बात की है कि कबीर, तुलसी, बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य, नानक, अरविंद, रामकृष्ण, विवेकानंद जैसी महान विभूतियों ने जिस भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया उसे हिंदी के माध्यम से विश्व समुदाय तक पहुंचाकर समृद्ध किया जाए और इसके लिए एक संस्थान बनाया जाए। कल, कल नहीं होता, आज,आज नहीं होता। आरोहण के बाद अवरोह और अवरोह के बाद आरोहण शुरू हो जाता है। यह प्रकृति का शाश्वत नियम है। आइए, इस पावन तिथि पर हम संकल्प लें हिंदी के चहुंमुखी विकास का। विश्व में स्थाई शांति का विञ्च में स्थाई शांति एकमात्र हिंदी ही ला सकती है। शोक प्रस्ताव आज 10 जनवरी, 2021 को देवी चरण बरुआ महिला उच्च विद्यालय के सभागृह में असम राज्य राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में आयोजित विश्व हिंदी दिवस कार्यक्रम के अवसर सबसे पहले राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री अनंत राम विपाठी जी के निधन पर 2 मिनट का मौन पालन कर उनकी आत्मा की शांति कामना की गई। परमात्मा उनके परिजनों तथा वर्धा समिति के कार्यकर्ताओं को इस दुःख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।

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