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वृन्दावन में आश्रम कब्जाने के मामले में मथुरा न्यायालय परिसर में बवाल!

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सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता रीना एन सिंह पर जानलेवा हमला करने का प्रयास निंदनीय! 
(शीतल निर्भीक ब्यूरो) 
मथुरा।ब्रज की सनातन संस्कृति, मंदिरों और मठों की रक्षा हेतु दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान मथुरा एमपी-एमएलए कोर्ट में हंगामा हो गया।याचिकाकर्ता कौशल किशोर ठाकुर और सुप्रीम कोर्ट की  अधिवक्ता रीना एन सिंह पर कोर्ट परिसर में जानलेवा हमला करने का प्रयास किया गया मथुरा स्थित विशेष एमपी-एमएलए न्यायालय में दिनांक 28 मई 2025 को उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के विरुद्ध कथावाचक और सनातन धर्म रक्षा पीठ के अध्यक्ष कौशल किशोर ठाकुर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय परिसर में गंभीर हंगामा और हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह विशेष रूप से दिल्ली से मथुरा अदालत में बहस हेतु उपस्थित हुईं थीं। यह याचिका ब्रज क्षेत्र की सनातन संस्कृति, मंदिरों, मठों और आश्रमों के संरक्षण हेतु दाखिल की गई है। आरोप है कि मंत्री के पक्ष के अधिवक्ताओं ने सुनवाई के दौरान दबाव बनाने की कोशिश की और न्यायालय की कार्यवाही में अशोभनीय व्यवधान उत्पन्न किया, जिससे अदालत का माहौल तनावपूर्ण हो गया। मथुरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा सुरेश खन्ना की ओर से वकालतनामा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब तक स्वयं सुरेश खन्ना न्यायालय में उपस्थित होकर वकालतनामा पर हस्ताक्षर नहीं करते, तब तक किसी अन्य का वकालतनामा स्वीकार नहीं किया जा सकता। साथ ही जब अभी तक मंत्री पक्ष को कोर्ट का नोटिस ही जारी नहीं हुआ, तो उनके वकील वकालतनामा किस आधार पर दाखिल कर रहे हैं, यह गंभीर प्रश्न है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में याचिकाकर्ता कौशल किशोर ठाकुर और अधिवक्ता रीना एन सिंह पर जानलेवा हमला करने का प्रयास हुआ। इस गंभीर घटना को लेकर याचिकाकर्ता द्वारा स्थानीय थाने में एक विस्तृत लिखित शिकायत दी गई है। जब न्यायालय परिसर में ही याचिकाकर्ता और अधिवक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती, तो आम जनता को न्याय की क्या उम्मीद हो सकती है? उक्त घटना न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता के लिए सीधा खतरा है और यह दर्शाता है कि प्रभावशाली शक्तियाँ कोर्ट की निष्पक्षता को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने शासीय अधिवक्ता को उपस्थित होने का आदेश दिया है। सुनवाई पूर्ण होने के पश्चात् कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है। कौशल किशोर ठाकुर ने कहा कि यह अब केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच आर-पार की लड़ाई है। हम ब्रज की संस्कृति, मंदिरों और मठों की रक्षा के लिए अंतिम साँस तक संघर्ष करेंगे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट परिसर में सुरक्षा चूक की निष्पक्ष जांच की माँग की है। राज्य सरकार, न्यायपालिका और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अपील की गई है कि वे अधिवक्ता एवं याचिकाकर्ता की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करें। यदि दोषियों पर कड़ी कार्यवाही नहीं हुई, तो यह लोकतंत्र और धर्म की रक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी होगी।

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