कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने बयान दिया कि भारत के शेष राजनयिक नोटिस पर हैं। उन्होंने विएना संधि के उल्लंघन पर सख्ती दिखाई। भारत ने कनाडा में 6 राजनयिकों को निष्कासित किया था।
नई दिल्ली: भारत-कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव की बच वहां की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने शुक्रवार को कहा कि उनके देश में बाकी बचे भारतीय राजनयिक भी ‘स्पष्ट रूप से नोटिस पर हैं।’ जोली ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे किसी भी राजनयिक को बर्दाश्त नहीं करेगी जो विएना संधि का उल्लंघन करेगा। जोली से जब पूछा गया कि क्या दूसरे राजनयिकों पर भी कार्रवाई की जा सकती है?इस पर उन्होंने कहा, ‘वे साफतौर से नोटिस पर हैं। इनमें से 6 को निष्कासित किया गया है, जिनमें ओटावा में तैनात उच्चायुक्त भी शामिल हैं। दूसरे अधिकारी टोरांटो और वैंकूवर से हैं।’ बता दें कि 14 अक्टूबर को भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित किया था। इसके साथ ही भारत ने भारतीय राजनयिकों पर लगाए आरोपों को खारिज किया था। भारत ने अपने 6 राजनयिक वापस भी बुला लिए थे।
रूस से की भारत की तुलना
जोली ने भारत की तुलना रूस से करते हुए कहा, ‘हमने अपने इतिहास में ऐसा कभी नहीं देखा है। कनाडा की जमीन पर उस तरह का अंतरराष्ट्रीय दमन नहीं होने दिया जा सकता, जैसा कि हम यूरोप में देख चुके हैं। रूस ने जर्मनी-ब्रिटेन में ऐसा किया है और हमें इस मामले पर दृढ़ता दिखाने की जरूरत है।’ सारे विवाद की जड़ में वे आरोप हैं, जिनमें कनाडा ने कहा कि आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड की जांच में भारतीय हाई कमिश्नर और राजनयिकों को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में जोड़ा। भारत ने कनाडाई कनाडाई हाई कमिशन के मौजूदा प्रभारी स्टुअर्ट व्हीलर को तलब कर अपना कड़ा विरोध जताया था।
डिप्लोमेसी का रोल होगा अहम?
ऐसे वक्त जब अमेरिका की ओर से गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को लेकर अभियोग पत्र में एक भारतीय की पहचान उजागर की गई है, ऐसे में जोली का बयान भारत के लिए किसी तरह की राहत लेकर नहीं आया है। पिछले साल भी इसी तरह, भारत को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार जिस तरह से फाइव आइज़ ने कनाडा के रूख को समझने को लेकर बयान दिए हैं, उससे जाहिर है भारत को डिप्लोमेसी के लेवल पर खासा ऐक्टिव होना होगा