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वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व – डॉ. बी .के. मल्लिक

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सनातन धर्म में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। वैशाख पूर्णिमा पर ही महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किए जाते हैं।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार माने जाते हैं। ऐसे में इस दिन भगवान बुद्ध के अलावा श्री हरि विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
महाभारत  के अनुसार जब सुदामाजी कान्हा से मिलने द्वारिका पहुंचे थे तब श्री कृष्ण से उन्हें वैशाख पूर्णिमा का महत्व बताया था। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सुदामाजी की दरिद्रता और दुख दूर हो गए थे। इसके बाद से वैशाख पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया।
वैशाख पूर्णिमा के दिन पिछले एक महीने से चला आ रहा वैशाख स्नान एवं विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। मंदिरों में हवन-पूजन के बाद वैशाख महात्म्य कथा का परायण किया जाता है।
  पुराणों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा अत्यंत पवित्र एवं फलदायी तिथि मानी जाती है। भविष्य पुराण एवं आदित्य पुराण के अनुसार इस दिन प्रातः नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और भगवान चंद्र देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं। इससे संकटों का नाश होकर दुर्भाग्य सौभाग्य में बदलता है।
महात्मा बुद्ध विष्णु भगवान के नौवें अवतार हैं, अत: हिन्दुओं में यह पवित्र दिन माना जाता है तथा श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना, पाठ तथा दान का विशेष महत्व है। इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान वितरित करना, गौ दान के समान फल देने वाला बताया जाता हैं। वैशाखी पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है।
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित कर पूजन करना चाहिए। यदि हो सके तो पूजन के समय तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
वैसाख पूर्णिमा को पितरों के निमित्त पवित्र नदियों में स्नान कर हाथ में तिल रखकर तर्पण करने से पितरों की तृप्त होते हैं एवं उनका आशीर्वाद मिलता है। पुराणों के अनुसार वैशाख का यह पक्ष पूजा-उपासना के लिए विशेष महत्वपूर्ण कहा गया है।
 वैशाखी पूर्णिमा के दिन जल पात्र, सत्तू, मिष्ठान्न, भोजन और वस्त्र दान करने और पितरों का तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
 वैशाखी पूर्णिमा के दिन पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का उच्चारण जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
जिन लोगों को वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखना है, वो लोग इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लिया जाता है। साथ ही इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य जरूर दें।
डॉ.बी. के.मल्लिक
वरिष्ठ लेखक
9810075792

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