समा. एजेंसी नई दिल्ली, 24 फरवरी: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक (Corruption Perceptions Index – CPI) 2024 जारी किया, जिसमें भारत की रैंकिंग तीन स्थान गिरकर 96वें स्थान पर पहुंच गई है। 2023 में भारत 93वें और 2022 में 85वें स्थान पर था, जिससे स्पष्ट होता है कि देश में भ्रष्टाचार की स्थिति और खराब हुई है।
एशियाई देशों की स्थिति:
- चीन लगातार दूसरे वर्ष 76वें स्थान पर बना हुआ है।
- पाकिस्तान 133वें से फिसलकर 135वें स्थान पर पहुंच गया है।
- श्रीलंका को 121वीं और बांग्लादेश को 149वीं रैंक मिली है।
शीर्ष और निचले पायदान पर देश:
- डेनमार्क भ्रष्टाचार मुक्त देशों की सूची में पहले स्थान पर है।
- फिनलैंड दूसरे और सिंगापुर तीसरे स्थान पर हैं।
- दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश दक्षिण सूडान (180वीं रैंक) बना हुआ है।
भारत का प्रदर्शन और गिरावट के कारण: 2024 में भारत का CPI स्कोर 38 रहा, जो 2023 में 39 और 2022 में 40 था। यानी भारत का स्कोर एक अंक नीचे गिरा, जिससे उसकी रैंकिंग तीन स्थान नीचे चली गई।
विशेषज्ञों के अनुसार, CPI स्कोर 0 से 100 के बीच होता है, जिसमें 0 अत्यधिक भ्रष्टाचार को दर्शाता है और 100 भ्रष्टाचार-मुक्त स्थिति को। वैश्विक औसत स्कोर 43 बना हुआ है, जबकि दो-तिहाई देशों का स्कोर 50 से कम है। एशियाई देशों का औसत स्कोर 45 के आसपास रहा, जबकि भारत समेत 71 देशों का स्कोर इससे कम दर्ज किया गया।
सरकारों का प्रदर्शन:
- 2005 से 2013 तक यूपीए सरकार और 2014 से एनडीए सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के स्तर में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ।
- 2006-07 में भारत 70वें और 72वें स्थान पर था, जो अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति थी।
- 2013 में यूपीए शासन के अंतिम वर्ष में भारत 94वें स्थान पर फिसल गया था।
- 2015 में, एनडीए सरकार के कार्यकाल में भारत की स्थिति 76वें स्थान तक पहुंची, जो अब तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग थी।
भ्रष्टाचार और अन्य समस्याएं: रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार सिर्फ प्रशासनिक समस्या नहीं है, बल्कि यह जलवायु नीतियों को भी बाधित करता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवंटित फंड भ्रष्टाचार के कारण सही जगह नहीं पहुंचते, जिससे महत्वपूर्ण परियोजनाएं अधूरी रह जाती हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत और अन्य देशों के नेताओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, स्वतंत्र मीडिया पर हमलों की बढ़ती घटनाओं को रोकना भी अनिवार्य है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
(स्रोत: News Buzz)