कोलकाता: राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर पश्चिम बंगाल के तत्वावधान में रविवार की संध्या सर्वधर्म सद्भाव विषय पर साहित्य संध्या का आयोजन,33 शेक्सपियर सरणी कोलकाता के साहित्य सभागार में सोल्लास संपन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रथम चरण में शिकागो अमेरिका से भारत पधारी कवयित्री गुरचरण कौर नीलम की पुस्तक ‘ जुगनू’ का लोकार्पण किया गया। वैचारिकता से ओतप्रोत इस सरस आयोजन में द्वितीय सत्र में सर्वधर्म समभाव सद्भाव पर परिचर्चा संपादित हुई, राष्ट्रीय अध्यक्ष शब्दाक्षर रवि प्रताप सिंह की प्रधान अतिथि के रूप में उपस्थिति के साथ सहभागी साहित्यिक विभूतियों में मुख्य अतिथि के रूप में शहर के सुपरिचित पादरी फादर सुनील रोजारियो एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में इरफान शेर की महती उपस्थित थी। तीनों सत्र का कुशल संचालन पश्चिम बंगाल की कर्मठ, संस्था समर्पित प्रदेश अध्यक्ष डॉ.उर्वशी श्रीवास्तव ने किया। विषय आधारित चर्चा की शुरुआत करते हुए फादर सुनील रोजारियो ने अंग्रेजी प्रधान कर्म क्षेत्र में होते हुए भी हिंदी के प्रति अपने योगदान एवं समर्पण की विस्तार से चर्चा की। चर्चा को आगे बढ़ते हुए विशिष्ट अतिथि इरफान शेर ने साहित्य के प्रति समर्पण की सार्थकता का उल्लेख करते हुए धर्म पर अपने दृष्टिकोण की व्याख्या की। मंचासीन द वेकपत्रिका की संपादक व शब्दाक्षर की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शकुन त्रिवेदी ने धर्म के बारे में अपने चिंतन को एक कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष शब्दाक्षर रवि प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में अधिकांश धर्म को किसी एक व्यक्ति के विचारों का विस्तार बताया। उन्होंने कहा एक व्यक्ति मोहम्मद साहब ने कितने बड़े अनुयायियों के रूप में इस्लाम धर्म का प्रतिपादन किया तो वहीं महात्मा बुद्ध ने राजपाट छोड़कर एक भिक्षुक के रूप में अपने विचारों का विस्तार करके बौद्ध धर्म की स्थापना की तो सिख धर्म को भी हिंदू धर्म से निकले हुए एक धर्मगुरु ने ही स्थापित किया। श्री सिंह ने कहा कि धर्मों के टकराव का एक मुख्य कारण अपने-अपने धर्म के धर्मावलंबियों की संख्या में वृद्धि करना है। उन्होंने सर्वधर्म के प्रतिनिधियों से निवेदन पूर्वक आह्वाहन किया कि, व्यक्ति जन्म से धर्म ग्रहण करता है उसका भय या लोभ से धर्मांतरण बिल्कुल नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति स्वजन्मा धर्म छोड़ सकता है, वह किसी दूसरे धर्म का सगा कभी नहीं हो सकता है। दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल के राजपत्रित रेलवे अधिकारी एवं पुरुलिया जिले के शब्दाक्षर जिला अध्यक्ष श्री कृष्ण पाल सिंह ने तीनों सत्रों की अध्यक्षता की, अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री सिंह ने शब्दाक्षर की कार्य पद्धति से उपस्थित श्रोता समूह को परिचित कराते हुए कहा कि, साहित्यिक संस्थाओं की भीड़ में शब्दाक्षर एक ऐसी संस्था है जिसमें गद्य-पद्य विधागत कार्यशालाओं का संचालन होता है, साथ ही शब्दाक्षर की साहित्यिक पत्रिका 25 राज्यों में 5 वर्ष तक से अनवरत सदस्यों के घर पहुंच रही है, देश के 25 राज्यों में संस्था के जमीनी काव्य कार्यक्रम होते रहते हैं। संस्था की कई और भी बड़ी उपलब्धियां हैं। मंचासीन साहित्यकारों के अतिरिक्त, अंतिम सत्र काव्य सत्र में जिन रचनाकारों ने धर्म के बारे में अपने नजरिए को पद्य के रूप में प्रस्तुत किया उनमें-गुरुशरण कौर ‘नीलम’, गीता चांदनी, कृष्ण पाल सिंह, फादर सुनील रोजारियो, अर्चना राय, हलीम साबिर, शकील अनवर, सुधा मिश्रा द्विवेदी, अशोक कुमार गुप्ता, डॉ.शाहिद फ़रोगी, एयाज अहमद, नज़ीर राही, सैयद इरफ़ान सेर, नादरा राज, रणजीत कुमार सिन्हा, अयाज़ खान, डॉ. उर्वशी श्रीवास्तव, शकुन त्रिवेदी, परवेज़ अख़्तर, इंद्राणी दास गुप्ता, शिव प्रसाद, सुरेश सुमन व अनुज कुमार विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। सैय्यद इरफ़ान शेर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ इस सारस्वत कार्यक्रम का समापन हुआ।





















