शालचापड़ा (असम): भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर शालचापड़ा क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया में भारी अनियमितता हो रही है और सरल-सीधे लोगों को कानूनी पेच में फंसाकर उनकी जमीन जबरन छीनी जा रही है।
मिनहाज उद्दीन बड़भुइंया, नूर जमाल लश्कर, रंजीत डे, इनाम उद्दीन लश्कर, संतोष कुमार दास समेत अन्य स्थानीय लोगों ने मीडिया के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वे संबंधित विभाग की भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया से कतई संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वेक्षण कार्य में लगे अधिकारी पारदर्शिता और ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं।
स्थानीयों का कहना है कि ईमानदार नागरिकों को न्यूनतम मुआवजा देकर उनकी पुश्तैनी जमीन हड़पने की कोशिश की जा रही है, वहीं कुछ प्रभावशाली लोग अंदरूनी जानकारी के आधार पर दूरदराज के इलाकों में सस्ते में ज़मीन खरीदकर बड़ी इमारतें खड़ी कर रहे हैं, जिससे सरकार के फंड का दुरुपयोग हो रहा है।
शालचापड़ा के निवासियों का कहना है कि वे कई बार जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मिल चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। स्थानीय लोगों ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें उनकी जमीन का उचित और न्यायसंगत मुआवजा नहीं दिया जाता, तब तक वे एक इंच भी जमीन नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि यदि उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया, तो वे व्यापक जन आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होंगे। शालचापड़ा के लोगों का यह आक्रोश अब जन-संघर्ष का रूप लेता दिख रहा है।





















