शिलचर, 9 अगस्त:शासक वर्ग के मनमाने फैसले को अदालत ने कठघरे में खड़ा कर दिया। एक बार फिर साबित हो गया कि कानून के शासन के सामने सत्ता का अहंकार झुकना ही पड़ता है। लंबे और जटिल कानूनी संघर्ष के बाद अंततः शिलचर जिला खेल संघ (एसडीएसए) के सचिव पद पर अतनु भट्टाचार्य को बहाल कर दिया गया।
गौरतलब है कि जब सांसद गौरव गोगोई ने असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था, उस समय अतनु भट्टाचार्य ने सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं दी थीं। यह सामान्य शिष्टाचार सत्ता पक्ष के एक वर्ग की आंखों में ‘अपराध’ बन गया। राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर संघ के भीतर एक गुट ने उन्हें पद से हटाने की साजिश रची और खेल जगत की जगह कागजी राजनीति का खेल शुरू हो गया।
अन्यायपूर्ण बर्खास्तगी के खिलाफ अतनु ने सीधा अदालत का दरवाजा खटखटाया। 7 अगस्त को अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक अतनु भट्टाचार्य सचिव पद पर बने रहेंगे और उन्हें किसी भी प्रकार से परेशान या बाधित नहीं किया जाएगा। यह आदेश न केवल उनके हटाए जाने के निर्णय को अवैध ठहराता है, बल्कि सांस्कृतिक व खेल संस्थाओं को राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाता है।
फैसले के बाद कछार जिला कांग्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई। संगठन की ओर से अतनु भट्टाचार्य का भव्य स्वागत किया गया। उन्हें फूलों के गुलदस्ते, पारंपरिक ‘उत्तरिय’ और सम्मान स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। इस मौके पर पूर्व मंत्री, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, कई वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में समर्थक मौजूद थे।
हमारे प्रतिनिधि से फोन पर बातचीत में अतनु भट्टाचार्य ने कहा — “मैं अदालत के आदेश का सम्मान करता हूं। यह केवल मेरी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति की जीत है जो न्याय में विश्वास रखता है। अदालत ने साफ कहा है कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान मैं अपने पद पर बना रहूंगा और मुझे किसी भी तरह से परेशान नहीं किया जाएगा।”
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला सत्ता पक्ष के लिए बड़ा झटका है। यह साबित करता है कि न्यायालय के सामने सत्ता का घमंड भी फीका पड़ जाता है और सच्चाई व न्याय की लड़ाई अंततः जीतती है।





















