करीमगंज जिले के पाथरकांदी अंचल के मारू ग्राम के मूल निवासी शिक्षक, कवि, साहित्यकार एस सागर जी का तिनसुकिया में 15 मई को प्रातः काल 4:02 पर स्वर्गवास हो गया। पिछले 30 अप्रैल को साइकिल से बाजार जाते समय एक स्कूटी की टक्कर से, उनके शरीर में कई जगह फ्रैक्चर हो गया था। उन्हें डिब्रूगढ़ अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां 25 मई को उन्हें हार्ट अटैक हुआ तत्पश्चात वे आईसीयू में रहे। 2 मई को उन्हें घर ले जाया गया। फ्रैक्चर के चलते उन्हें टेंशन पर रखा गया था। जिसे वे खुलवाना चाहते थे। डॉक्टर ने मना किया, इसको लेकर वे टेंशन में रहने लगे। 15 मई को सुबह 2:00 बजे उनके सीने में दर्द हुआ और 2 घंटे में ही उनकी आत्मा नश्वर शरीर को त्याग कर परमात्मा में विलीन हो गई। वे अपने पीछे धर्मपत्नी तारामती, पुत्र उमाशंकर कश्यप, नवनीता गोगोई तथा एक पौत्री को छोड़ गए हैं।
एस० सागर जी की जन्म तिथि एक दिसंबर, 1947 एवं जन्म स्थान बराक उपत्यका के करीमगंज जिला अन्तर्गत मारूग्राम हैं। आपकी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण पाठशाला में हुई और उच्चशिक्षादि गुवाहाटी विश्व-विद्यालयाधीन करीमगंज एवं शिलचर स्थित कॉलेजों में हुई। B.A.B.T, LLB (GU) के पश्चात् वे शिलचर के होलीक्रास स्कूल में इतिहास, अंग्रेजी एवं समाज अध्ययन विषयों के शिक्षक बने। तदुपरांत वे सिरसा, भटिंडा एवं अरुणाचल प्रदेश के कई प्रसिद्ध स्कूलों में अध्यापन करते हुए नब्बे के दशक में डॉनबोस्को. तिनसुकिया में अध्यापक नियुक्त हुए और सन 2004 में सेवा निवृत्त होकर अपने यथार्थ के अनुभवों एवं चिंतन को शब्द रूप प्रदान करते हुए कई रचनाएँ प्रकाशित कर चुके हैं। आपके जीवन साथी के रूप में श्रीमती तारा जी की विशेष भूमिका रही है। आपकी प्रथम रचना है हिन्दी उपन्यास ‘मुक्ति’, 2007 में प्रकाशित । दूसरी रचना है अंग्रेजी उपन्यास ‘Emancipation’, 2009 में और तीसरी रचना है, सरित मंजरी, 2011 में। ‘मुक्ति’ का असमीया रूपांतरण भी प्रकाशित हो चुका है।
सागर जी के निधन प्रेरणा भारती परिवार की ओर से दिलीप कुमार ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार के प्रति शोक संवेदना ज्ञापित की है।