हैलाकांडी, 07 मार्च | विशेष संवाददाता
हैलाकांडी जिले के लाला शिक्षा ब्लॉक के अंतर्गत निजबरनपुर एल.पी. स्कूल नंबर 206 में शिक्षा के पवित्र क्षेत्र को भ्रष्टाचार और अनियमितताओं ने घेर लिया है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों का आरोप है कि इस स्कूल में न केवल शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं, बल्कि फर्जी उपस्थिति और शिक्षा सेतु ऐप हैकिंग के माध्यम से वेतन भी प्राप्त कर रहे हैं।
फर्जी उपस्थिति और अनुपस्थित शिक्षिका पर गंभीर आरोप
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, स्कूल की शिक्षिका शमचिहा बेगम चौधरी अक्सर स्कूल से अनुपस्थित रहती हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वह ऐप के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर नियमित वेतन ले रही हैं।
अगर यह आरोप सही है, तो यह न केवल गैर-जिम्मेदाराना रवैया है, बल्कि शिक्षा विभाग के डिजिटल सिस्टम की भी गंभीर विफलता दर्शाता है।
स्कूल अध्यक्ष खुद पढ़ा रहे हैं छात्र!
जब मीडिया प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे, तो यह देखकर हैरान रह गए कि स्कूल शिक्षिका की अनुपस्थिति में अध्यक्ष स्वयं छात्रों को पढ़ा रहे थे। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है।
“क्या यह स्कूल है या किसी व्यंग्य नाटक का मंच?” – एक स्थानीय अभिभावक ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा।
अभिभावकों का आरोप है कि इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग को कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मिड-डे मील में भी भ्रष्टाचार! रसोइया पर उत्पीड़न का आरोप
शिक्षा की अनियमितता सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मिड-डे मील योजना में भी गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं।
स्कूल रसोइए के अनुसार—
“भोजन बनाने के लिए आवश्यक सामग्री ठीक से उपलब्ध नहीं कराई जाती। जब हम विरोध करते हैं, तो हमें धमकाया जाता है और उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है।”
इतना ही नहीं, रसोइए ने स्कूल अध्यक्ष पर मारपीट की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है।
प्रधानाध्यापक पर निजी शिक्षण संस्थान चलाने का आरोप
स्थानीय नागरिकों का दावा है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक खुद एक निजी शिक्षण संस्थान चला रहे हैं, जिसके चलते वह सरकारी स्कूल की जिम्मेदारियों की अनदेखी कर रहे हैं।
“एक सरकारी स्कूल के प्रमुख द्वारा इस तरह की लापरवाही शिक्षा प्रणाली के साथ अन्याय है।” – एक स्थानीय व्यक्ति ने नाराजगी जताई।
प्रशासन और शिक्षा विभाग की चुप्पी, त्वरित जांच की मांग
इतनी गंभीर शिकायतों के बावजूद, प्रशासन और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि: शिक्षा सेतु ऐप की विस्तृत जांच की जाए और शिक्षकों की वास्तविक उपस्थिति की पुष्टि की जाए।
मिड-डे मील योजना में हो रहे भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
विद्यालय प्रधान और शिक्षकों के कार्यों का मूल्यांकन कर लापरवाह शिक्षकों पर उचित दंड लागू किया जाए।
क्या शिक्षा विभाग दोषियों पर कार्रवाई करेगा या मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?
अब सवाल उठता है कि क्या शिक्षा विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगा, या फिर भ्रष्टाचार की परतों में इसे दफना दिया जाएगा?
स्थानीय नागरिकों की एक ही मांग है— शिक्षा को तमाशा न बनने दिया जाए, बल्कि छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक मजबूत और पारदर्शी व्यवस्था बहाल की जाए।