शिलचर की प्राचीन और ऐतिहासिक श्मशानघाट काली पूजा एक बार फिर इस वर्ष भी अपने भव्य स्वरूप में श्रद्धा, उत्साह और आस्था का संगम बनी हुई है। पूजा के अवसर पर पूरा क्षेत्र दीप, सजावट और भक्तिभाव की रोशनी से नहाया हुआ है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी श्मशानघाट काली मंदिर और उसके आसपास का परिसर नए रूप में सजाया गया है। रंग-बिरंगी रोशनी, भव्य तोरण और आकर्षक सजावट से सजा मंदिर प्रांगण दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
भोर से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। ‘जय माँ काली’ के जयघोष से वातावरण गूंज उठा। दिनभर पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का क्रम चलता रहा। शाम ढलते ही पूरा क्षेत्र जगमग रोशनी और उमड़े हुए जनसमूह से भर उठा। युवा वर्ग अपने मोबाइल कैमरों में इस भव्यता को कैद करने में व्यस्त नजर आया — कोई सेल्फी ले रहा था, तो कोई माँ की आराधना और रोशनी के उत्सव को वीडियो में समेट रहा था।
पूजा की संपूर्ण व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने में पूजा समिति के स्वयंसेवकों के साथ-साथ जिला पुलिस प्रशासन ने सराहनीय भूमिका निभाई। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पेयजल स्टॉल और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत यह उत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज में एकता, सद्भाव और सामुदायिक सहयोग का सजीव प्रतीक बन गया है। शिलचर के लोगों के लिए श्मशानघाट काली पूजा अब मात्र एक परंपरा नहीं, बल्कि शहर की अस्मिता और गौरव का प्रतीक बन चुकी है।





















