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राजू दास के द्वारा एक विशेष रिपोर्ट, 3 अप्रैल: जैसे ही मानसून का मौसम शुरू होता है, शिलचरवासियों के बीच फिर से दहशत फैल जाती है! इसका एकमात्र कारण है शहर की अधिकांश नालियों का गंदा और जाम होना, जल निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था और सड़कों की जर्जर स्थिति। 2022 की बाढ़ की भयावह यादें अभी भी ताजा हैं, और इस स्थिति में बाढ़ रोकथाम के लिए कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं किया गया है। इस बार स्थिति और भी भयानक हो सकती है, यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी!

शहर के विभिन्न हिस्सों में नालियां ओवरफ्लो हो रही हैं, जिससे गंदगी सड़कों पर फैल रही है और बदबू से माहौल दूषित हो रहा है। हल्की बारिश होने पर भी सड़कों पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सोनाई रोड की नई समस्या
हाल ही में सोनाई रोड को ऊंचा किया गया है, जिससे वाहन चलाने में सुविधा तो हो रही है, लेकिन आसपास के लोगों के घर नीचे रह गए हैं। मानसून के दौरान इस क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति बनने की पूरी संभावना है। सड़क को ऊंचा करते समय जल निकासी की कोई प्रभावी योजना नहीं बनाई गई, जिससे हल्की बारिश में भी आसपास के घर जलमग्न हो जाएंगे।
“सड़क तो ऊंची कर दी गई, लेकिन सोनाई रोड के घर नीचे रह गए। नालियां संकरी होने से पानी बाहर नहीं निकल पाता। बरसात के दिनों में यह इलाका रहने लायक नहीं रहेगा। प्रशासन आखिर कर क्या रहा है?”
गांवों में भी बाढ़ का खतरा
शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव भी इस बार भारी बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। 2022 की त्रासदी से सबक लेने के बजाय अब तक कोई ठोस बांध निर्माण नहीं किया गया है। यदि बराक नदी या अन्य जल स्रोतों का जलस्तर बढ़ता है, तो शिलचर और आसपास का बड़ा इलाका जलमग्न हो जाएगा।
“हर साल बारिश से पहले प्रशासन वादे करता है, लेकिन हकीकत में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। थोड़ी-सी बारिश में ही सड़कें नदियों में बदल जाती हैं। क्या हमें फिर से 2022 जैसी त्रासदी झेलनी होगी?”
बरसात के दौरान शहर के बाजार और आवासीय क्षेत्र जलभराव की चपेट में आ जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडराने लगता है। लेकिन नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह किसे है? प्रशासन की लापरवाही साल दर साल जारी है!
2022 की बाढ़ में शिलचर को जो भारी नुकसान हुआ, वह पूरी तरह से प्रशासन की विफलता थी—यह बात सभी जानते हैं। हजारों लोग जलमग्न हो गए थे, और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था। इस बार भी वही लापरवाही! फिर से आम जनता को ही इस आपदा का शिकार बनना पड़ेगा। समय पर कदम नहीं उठाए जाने के कारण शिलचर और आसपास के गांव बार-बार बड़ी आपदाओं का सामना कर रहे हैं।
शिलचर के लोग हमेशा उम्मीद करते हैं कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस बार कुछ जिम्मेदारी निभाएंगे और उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन हर बार यह उम्मीद केवल एक छलावा बनकर रह जाती है।
इस बार भी हालात बद से बदतर होने की पूरी संभावना है!
तो क्या शहरवासी इस आपदा को झेलने के लिए तैयार हैं?





















