जब देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और असहिष्णुता चरम पर है, नेता-मंत्रियों के बयान आग में घी का काम कर रहे हैं, ऐसे समय में असम के शिलचर शहर से सटे चंद्रपुर गांव ने एक मिसाल पेश की है। यहाँ हिंदू-मुस्लिम एकता का ऐसा अनुपम उदाहरण सामने आया है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकता है।शहर के पास स्थित काठाल रोड चौराहे पर एक प्राचीन शिव मंदिर—जो करीब 70 वर्षों से उपेक्षित था—अब स्थानीय लोगों के सहयोग से फिर से संजीवनी पा रहा है। खास बात यह है कि इस मंदिर के पुनर्निर्माण में न केवल हिंदू समाज, बल्कि मुस्लिम समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर आर्थिक और शारीरिक योगदान दे रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने इसे “सर्वधर्म समभाव” का प्रतीक स्थल कहा है। उत्तर-पूर्व भारत के सुप्रसिद्ध संगीत कलाकार विधान लस्कर ने भी इस कार्य में मुस्लिम समुदाय की सक्रिय भागीदारी को रेखांकित करते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द का उज्ज्वल उदाहरण बताया।स्थानीय निवासी रिंकु और सजल ने बताया कि उनके गांव में सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और यह मंदिर उसी एकता की मिसाल है। उन्होंने कहा कि इस नेक कार्य में शामिल होकर उन्हें बेहद संतोष और गर्व महसूस हो रहा है। उनका मानना है कि ऐसे प्रयास पूरे देश में होने चाहिए ताकि समाज में आपसी भाईचारा और विश्वास मजबूत हो।
शिलचर के चंद्रपुर से उठी यह मिसाल बताती है कि अगर भावना सच्ची हो, तो धर्म दीवार नहीं, सेतु बन सकता है।




















