शिलचर, 6 अप्रैल: इस वर्ष आयोजित शिलचर का प्रतिष्ठित गांधी मेला दो अप्रत्याशित घटनाओं की वजह से विवादों में घिरकर समाप्त हुआ। इन घटनाओं ने न सिर्फ मेले की गरिमा को ठेस पहुँचाई है, बल्कि दूर-दराज़ तक के जागरूक नागरिकों के बीच भी नकारात्मक संदेश फैलाया है।
पहली घटना मेले के भीतर अवैध जुए के अड्डे को लेकर हुई, जहाँ बजरंग दल ने छापा मारा। जुआरियों द्वारा पकड़े जाने पर कुछ नामों का खुलासा भी हुआ—जैसे ‘भुरो’ और ‘पिंटू’—जिन्हें कथित रूप से इस काले धंधे के पीछे समर्थन देने वाला बताया जा रहा है। इसके बावजूद तरापुर पुलिस चौकी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई, और न ही जिला पुलिस प्रशासन की ओर से अब तक कोई उदाहरण पेश किया गया है, जिससे संदेह और भी गहरा हो गया है कि आखिर इन असामाजिक तत्वों को मेला परिसर में जगह किसके संरक्षण में मिली।
दूसरी घटना ‘चित्रहार’ के आयोजन को लेकर रही, जिसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने तीव्र विरोध दर्ज किया। गौरतलब है कि गांधी मेला के उद्घाटन समारोह में भाग लेने वाले कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने पहले ही अपील की थी कि इस सांस्कृतिक मेले में अशोभनीय दृश्य प्रस्तुत करने वाले कार्यक्रमों से परहेज किया जाए। उनका कहना था कि इस क्षेत्र की सभ्य सांस्कृतिक परंपराओं को कलुषित नहीं किया जाना चाहिए। इस समारोह में स्थानीय विधायक, प्रशासनिक अधिकारी और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। बावजूद इसके, आयोजकों ने इस सलाह की अनदेखी कर दी और चित्रहार का आयोजन किया, जिससे असंतोष और विवाद और बढ़ गया।
सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों का कहना है कि इस वर्ष गांधी मेले का आयोजन उसकी परंपरा और मूल भावना को अक्षुण्ण रखने के बजाय मात्र व्यावसायिक लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया, जिससे मेले की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुँचा है।
शिलचर का गांधी मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक विरासत है – जिसे सहेजने की जिम्मेदारी हम सबकी है





















