शिलचर में आकसा द्वारा वीर लाचित बरफूकन की 403वीं जयंती श्रद्धापूर्वक आयोजित
शिलचर, 24 नवंबर:
कछार-करीमगंज-हाइलाकांदी छात्र संघ (आकसा) की पहल पर सोमवार को शिलचर मध्यशहर सांस्कृतिक समिति के सभागार में वीर लाचित बरफूकन की 403वीं जयंती श्रद्धा और गौरव के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत वीर लाचित बरफूकन की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के माध्यम से की होती है।
इस अवसर पर स्वामी गुणसिन्धु महाराज, गुरुचरण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. निरंजन राय, वरिष्ठ अधिवक्ता रजत घोष, समाजसेवी सीमांत भट्टाचार्य, शिलचर क्रीड़ा संघ के अध्यक्ष शिवब्रत दत्ता, असम विश्वविद्यालय के बंगला विभाग के प्रो. वरुणज्योति चौधुरी, आकसा के मुख्य उपदेशक रूपम नंदी पुरकायस्थ, प्राणबानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पार्थ प्रतिम अधिकारी, आकसा के उपदेशक विश्वजीत देव तथा आकसा के अध्यक्ष सईदुर रहमान सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।
अध्यक्ष सईदुर रहमान की अध्यक्षता में आयोजित इस सभा में स्वागत भाषण रूपम नंदी पुरकायस्थ ने दिया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने वीर लाचित बरफूकन के अद्वितीय योगदान और उनके पराक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लाचित बरफूकन की गाथा अहोम साम्राज्य की वीरता और रणनीतिक कौशल का प्रतीक है। विशेषकर वर्ष 1669 में सराईघाट के ऐतिहासिक युद्ध में मोगल सेना पर उनकी विजय असम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
वक्ताओं ने बताया कि अपने अदम्य साहस, मातृभूमि के प्रति निष्ठा, त्याग और उत्कृष्ट सैन्य रणनीति के दम पर वीर लाचित ने असम को मोगल आक्रमण से सुरक्षित रखा। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर युवाओं को देशभक्ति, साहस और कर्तव्यनिष्ठा की राह पर आगे बढ़ने का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम गरिमामय और प्रेरणादायी वातावरण में संपन्न हुआ।





















