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शिलचर स्थित घुंघुर बाईपास सड़क के निर्माण के बाद, घुंघुर चौराहे पर दिलीप जी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण पहल की गई। इस पहल के तहत “मंगल पांडेय मूर्ति स्थापना समिति” नामक एक कमेटी का गठन किया गया, जिसमें स्थानीय लोग और आसपास के गांवों के लोग भी शामिल थे। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम शहीद मंगल पांडेय जी की मूर्ति को घुंघुर बाईपास चौराहे पर स्थापित करना था। दिलीप जी ने जब इस विचार को प्रस्तुत किया, तो यह एक बड़ी प्रेरणा बन गई। समिति ने इस महान कार्य को अंजाम देने के लिए कई बैठकों का आयोजन किया और सभी सदस्यों ने अपने-अपने स्तर पर योगदान दिया। चौराहे पर मूर्ति स्थापना के लिए आवश्यक धनराशि एकत्र करने के लिए समिति ने विभिन्न कार्यक्रमों और जनसभाओं का आयोजन किया, जिसमें स्थानीय लोगों ने बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
हालांकि, समाज में हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं। वे लोग, जो समाज के लिए निस्वार्थ कार्य करते हैं, उनके कार्यों में साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाकर बाधा उत्पन्न करते हैं। दिलीप जी और उनकी समिति के प्रयास भी इससे अछूते नहीं रहे। कई बार उन्हें विभिन्न प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन दिलीप जी ने हार नहीं मानी और अपने सच्चे समाज सेवा के उद्देश्य को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहे। समाज में कई ऐसे लोग होते हैं जो खुद तो समाज के लिए कुछ नहीं कर पाते, लेकिन जो करना चाहते हैं उन्हें भी बाधा उत्पन्न करते हैं। दिलीप जी इस प्रकार की मानसिकता से जूझते हुए भी अपने लक्ष्य पर अडिग रहे। इस संदर्भ में, दिलीप जी ने आज के युवा वर्ग से अपील की है कि वे किसी भी राजनीतिक चाटुकार या चमचों के बहकावे में न आएं। वे अच्छा और बुरा को समझें, और फिर अपने कार्य को आगे बढ़ाएं। हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनावों में, हमने देखा कि मोदी जी को हराने के लिए विभिन्न राजनैतिक पार्टियों ने एकजुटता दिखाई, लेकिन जनता ने फिर से एक बार मोदी जी को प्रधानमंत्री बना दिया। ठीक इसी तरह, दिलीप जी भी एक सच्चे समाजसेवी के रूप में समाज में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उनकी समिति के सदस्यों ने भी हर कठिनाई का सामना करते हुए अपने उद्देश्य को पूरा करने का संकल्प लिया। मूर्ति की स्थापना का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन दिलीप जी और उनकी समिति के प्रयास लगातार जारी हैं। विडंबना यह है कि जिन्होंने देश के लिए अपनी जान निछावर कर दी, उन्हीं की मूर्ति बनाने के लिए वर्तमान असम सरकार अनुमति नहीं दे रही है। आप लोग अनुमान लगा सकते हैं कि कौन कितना देशभक्त है। हाल ही में कुछ स्थानीय बुद्धिजीवियों ने शहीद मंगल पांडेय मूर्ति स्थापना के लिए एकजुटता दिखाई है। अब यह देखना बाकी है कि कब तक शहीद मंगल पांडे की मूर्ति की स्थापना होती है। “मंगल पांडेय मूर्ति स्थापना समिति” का यह संघर्ष हमें यह सिखाता है कि सच्चे समाज सेवा और दृढ़ संकल्प के साथ, किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। यह स्थान, जब मूर्ति स्थापित हो जाएगी, न केवल मंगल पांडेय जी की वीरता की गाथा सुनाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के एकजुट प्रयासों और उनके देशप्रेम की भी गवाही देगा। शिवकुमार बोराखाई, काछाड़