मंदिरों और विद्यालयों के आसपास हो रही पशु हत्या और मांस प्रदर्शन से आहत शाकाहारी समाज
फोटो खींचने पर मीडियाकर्मी को काट डालने की धमकी
शिलचर, 25 सितंबर। शहर के विभिन्न हिस्सों में खुलेआम पशु हत्या और मांस की बिक्री ने शाकाहारी समाज और सभ्य नागरिकों को गहरी चिंता में डाल दिया है। विशेषकर मंदिरों और विद्यालयों के आसपास खुलेआम मांस टांगे जाने और बिक्री की घटनाएँ न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत कर रही हैं, बल्कि बच्चों और स्थानीय शाकाहारी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही हैं।

रविवार के दिन तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। शहर का वातावरण किसी बूचड़खाने की तरह प्रतीत होता है। खुलेआम सड़क किनारे बकरों को काटना और मांस लटकाकर बेचना आम दृश्य बन चुका है। इससे गुजरने वाले नागरिक, खासकर महिलाएँ और बच्चे, मानसिक रूप से आहत होते हैं।

स्थानीय जैन और मारवाड़ी समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि इस स्थिति के चलते बाहर से आने वाले शाकाहारी पर्यटक शिलचर आना ही छोड़ रहे हैं। पर्यटन और व्यापार पर भी इसका सीधा असर देखा जा रहा है।

नागरिकों ने सरकार और प्रशासन से माँग की है कि मांस बिक्री के लिए निश्चित क्षेत्र (designated zones) तय किए जाएँ और धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थानों के आसपास इस पर सख़्त प्रतिबंध लगाया जाए।

सभ्य और शाकाहारी समाज का कहना है कि “हम किसी की भोजन की स्वतंत्रता का विरोध नहीं करते, परंतु सार्वजनिक स्थानों पर इस प्रकार की मांस बिक्री सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक वातावरण के लिए हानिकारक है। प्रशासन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।”
इस प्रकार नियमों का उल्लंघन कर चल रहे मांस बिक्री का जब एक मीडिया कर्मी ने फोटो खींचा तो दुकानदारों ने आपत्ति प्रकट की और फोटो डिलीट करने के लिए दबाव डाला। एक ने मांस काटने वाले हथियार (दाव) दिखाकर धमकी दिया की पेपर में इसी तरह तुमको भी काट डालेंगे।
आईए जानते हैं मांस बिक्री के बारे में क्या कहता है नियम?
1. स्लॉटर और बिक्री के लिए लाइसेंस
मांस बेचने वाले दुकानदार को नगर निगम / नगर पालिका / पंचायत से ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
केवल अधिकृत बूचड़खानों (licensed slaughterhouses) से ही मांस कटवाकर बेचा जा सकता है।
घर या सार्वजनिक स्थानों पर बिना अनुमति के पशु काटना (slaughter) अवैध है।
2. स्वास्थ्य और स्वच्छता नियम
Food Safety and Standards Act, 2006 (FSSAI) तथा Food Safety and Standards (Licensing and Registration) Regulations, 2011 लागू होते हैं।
दुकान में साफ-सफाई, उचित ढंग से मांस का प्रदर्शन, फ्रीजर/कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होना चाहिए।
खुला मांस सड़क किनारे टांगकर बेचना मना है।
मांस पर FSSAI का लाइसेंस नंबर और दुकानदार का पंजीकरण नंबर होना चाहिए।
3. पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र
काटे जाने वाले पशु बीमार न हों और उनका वेटनरी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र होना चाहिए।
पशु की उम्र, बीमारी, गर्भावस्था आदि की स्थिति को ध्यान में रखकर ही slaughter की अनुमति दी जाती है।
4. धार्मिक/सांस्कृतिक प्रतिबंध
कुछ इलाकों में स्थानीय प्रशासन या समुदाय की सहमति के आधार पर सूअर का मांस (Pork) या अन्य विशेष मांस पर अस्थायी रोक हो सकती है (विशेषकर धार्मिक त्यौहारों के समय)।
मुस्लिम और आदिवासी समुदाय वाले क्षेत्रों में पोर्क आम तौर पर बिकता है, वहीं हिंदू बहुल क्षेत्रों में इसका परहेज़ किया जाता है।
5. दंड
बिना लाइसेंस के मांस बेचने पर नगर निगम / स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करता है।
जुर्माना, दुकान बंद करवाना या कानूनी केस भी हो सकता है।
👉 संक्षेप में:
बीफ़ पर खास पाबंदियाँ (Assam Cattle Preservation Act, 2021 के तहत) हैं।
बाकी मांस (मटन, चिकन, पोर्क, मछली आदि) बेचना वैध है, लेकिन केवल लाइसेंसशुदा और स्वास्थ्य नियमों का पालन करने वाली दुकानों में।
असम ही नहीं, पूरे भारत में सड़क किनारे खुले में पशु काटकर और लटकाकर मांस बेचने पर कई तरह की कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि यह ग़ैर-क़ानूनी और स्वास्थ्य नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
1. कानूनी आधार
Food Safety and Standards Act, 2006 (FSSAI Act)
बिना पंजीकरण/लाइसेंस मांस बेचना ग़ैर-क़ानूनी है।
खुले में मांस प्रदर्शित करना (dust, flies, germs के संपर्क में) food safety norms का उल्लंघन है।
Assam Municipal Act / Local By-Laws
नगर निगम या पंचायत नियमों के अनुसार slaughter केवल authorized slaughterhouse में ही हो सकता है।
सड़क किनारे काटना / टांगना मना है।
Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960
सार्वजनिक जगह पर अमानवीय ढंग से पशु काटना cruelty माना जाता है।
2. संभावित कार्रवाई
नगर निगम / नगर पालिका / पंचायत द्वारा
तुरंत दुकान बंद कराना।
जुर्माना लगाना।
लाइसेंस रद्द करना (यदि है तो)।
Food Safety Officer द्वारा
मांस जब्त करना।
केस दर्ज करना (जुर्माना ₹25,000 से लेकर ₹2,00,000 तक हो सकता है, गंभीर मामलों में जेल भी)।
पुलिस द्वारा
IPC की धाराओं (जैसे 268 Public Nuisance, 269 Negligent act likely to spread infection, 278 Making atmosphere noxious) के तहत केस दर्ज हो सकता है।
3. व्यावहारिक रूप से
कई बार स्थानीय प्रशासन ऐसे लोगों पर drive चलाकर कार्रवाई करता है।
यदि आस-पड़ोस के लोग शिकायत करते हैं, तो Health Department + Police मिलकर दुकान ज़ब्त और जुर्माना करते हैं।
👉 संक्षेप में:
सड़क किनारे पशु काटना और मांस लटकाकर बेचना अवैध है। इसके लिए दुकान बंद, मांस ज़ब्त, भारी जुर्माना और कई मामलों में पुलिस केस तक हो सकता है।
শিরোনাম: শিলচরে প্রকাশ্যে মাংস বিক্রি ও পশু হত্যার বিরুদ্ধে ক্ষোভ – মন্দির ও বিদ্যালয়ের আশেপাশে কঠোর নিষেধাজ্ঞার দাবি
শিলচর, ২৫ সেপ্টেম্বর।
শহরের বিভিন্ন এলাকায় প্রকাশ্যে পশু হত্যা ও মাংস বিক্রির দৃশ্য সভ্য সমাজের জন্য গভীর উদ্বেগের কারণ হয়ে দাঁড়িয়েছে। বিশেষ করে মন্দির ও বিদ্যালয়ের নিকটে মাংস ঝুলিয়ে বিক্রি এবং পশু জবাইয়ের ঘটনা নিরামিষভোজী মানুষ ও শিশুদের মানসিক স্বাস্থ্যে নেতিবাচক প্রভাব ফেলছে।
রবিবারের দিনে পরিস্থিতি আরও ভয়াবহ আকার ধারণ করে, যখন পুরো পরিবেশ কসাইখানার মতো মনে হয়। রাস্তার ধারে ছাগল জবাই করা এবং প্রকাশ্যে মাংস বিক্রি কেবল ধর্মীয় অনুভূতিকে আঘাত করছে না, বরং শহরের ভাবমূর্তিও নষ্ট করছে।
জৈন ও মারোয়ারি সমাজের প্রতিনিধিরা অভিযোগ করেছেন যে, এই অবস্থার কারণে বাইরের রাজ্য থেকে আসা নিরামিষভোজী পর্যটকরা শিলচরে আসা বন্ধ করে দিয়েছেন। এর ফলে পর্যটন ও ব্যবসায় সরাসরি প্রভাব পড়ছে।
আমরা সরকার ও প্রশাসনের কাছে জোরালো দাবি জানাচ্ছি—
1. মাংস বিক্রির জন্য নির্দিষ্ট অঞ্চল (designated zones) নির্ধারণ করতে হবে।
2. মন্দির, বিদ্যালয় ও ধর্মীয়-শিক্ষামূলক প্রতিষ্ঠানের আশেপাশে মাংস বিক্রি ও পশু জবাইয়ের উপর কঠোর নিষেধাজ্ঞা জারি করতে হবে।
3. জনসাধারণের স্বাস্থ্য ও মানসিক শান্তির কথা বিবেচনা করে প্রশাসনকে অবিলম্বে কার্যকর ব্যবস্থা নিতে হবে। সভ্য ও নিরামিষভোজী সমাজের পক্ষ থেকে
শিলচর





















