रविवार संध्या शिलचर के मालूग्राम स्थित ‘अरुणा-तारापद स्मृति ग्रंथागार’ में एक मनमोहक साहित्यिक संध्या का आयोजन किया गया, जहाँ विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर के गीतों और कविताओं की मधुर प्रस्तुति ने वातावरण को भावनात्मक और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया।
इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं प्रख्यात कवि-साहित्यकार डॉ. तपोधीर भट्टाचार्य, वरिष्ठ लेखिका कस्तूरी होम चौधुरी, पूर्व प्राध्यापक विभाष चौधुरी और कवि-लेखक तपज्योति भट्टाचार्य जैसे विशिष्ट साहित्यिक हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में बराक की नई दिशा देने वाली “दिगंतिका” साहित्य पुस्तक का लोकार्पण किया गया। यह छमाही साहित्यिक पुस्तिका कवयित्री, लेखिका और बराक की नई दिगंत प्रकाशन की संपादिका मिता दास पुरकायस्थ के संपादन में प्रकाशित की गई है।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी आमंत्रित कवियों और लेखकों को प्रकाशन संस्था की ओर से सम्मानित करने के साथ हुई। प्रसिद्ध संगीत कलाकार देबस्मिता पुरकायस्थ ने अतिथियों को उत्तरीय पहनाकर उनका अभिनंदन किया।
यह संध्या न केवल साहित्य और संगीत की एक सुंदर अभिव्यक्ति बनी, बल्कि बराक घाटी की साहित्यिक चेतना को नई ऊर्जा देने वाली एक यादगार घटना के रूप में भी प्रतिष्ठित हुई।




















