शिलचर, १० अप्रैल — भगवान महावीर की जयंती के शुभ अवसर पर शिलचर में जैन समुदाय द्वारा भव्यता और श्रद्धा के साथ महावीर जयंती मनाई गई। भगवान महावीर, जो जैन धर्म के २४वें और अंतिम तीर्थंकर हैं, उनके जन्मोत्सव को विश्वभर में श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इसी कड़ी में शिलचर के मेहरपुर स्थित जैन मंदिर से सुबह ९ बजे भगवान महावीर की प्रतिमा को रथ पर सवार कर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। महिला और पुरुष श्रद्धालु स्तोत्र गाते हुए शिलचर शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए जैन भवन, शिलांगपट्टी पहुंचे, जहाँ यात्रा का समापन हुआ।

दिनभर के कार्यक्रम में भजन, कीर्तन और प्रवचन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे, जिनमें स्थानीय समाजसेवी और प्रतिष्ठित व्यापारी श्री मूलचंद वैद्य भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भगवान महावीर की २६२३वीं जयंती मनाई जा रही है।
भगवान महावीर का जीवन त्याग, तप और अहिंसा का प्रतीक रहा है। जैन धर्म के अनुसार, उन्होंने १२ वर्षों तक कठोर तपस्या, ध्यान, मौन और आत्मानुशासन का पालन किया और अंततः केवलज्ञान की प्राप्ति की। उनका संदेश है — “अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (पवित्रता) और अपरिग्रह (अनासक्ति) ही जीवन का मूल आधार होना चाहिए।”
इस अवसर पर जैन श्रद्धालुओं ने व्रत, ध्यान, प्रार्थना, मंदिर दर्शन और दान आदि के माध्यम से भगवान महावीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। जैन भवन में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण भी किया गया।
शिलचर में जैन समाज की यह भक्ति और समर्पण से भरी भव्य आयोजन स्थानीय समाज में एकता और शांति का संदेश लेकर आया।
— प्रेरणा भारती दैनिक





















