असम सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वैक्सीन की 1000 डोज को जांच के लिए लैब में भेजने का फैसला किया है। ये सभी दवाएं शिलचर मेडिकल कॉलेज के की वैक्सीन स्टोरेज यूनिट में रखी गई थीं। ये सभी दवाएं जमी हुई हालत में मिली थीं, जिसके बाद इनके खराब होने की आशंका जताई जा रही है। असम सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, दवाओं के गलत रखरखाव के मामले में सरकार ने सिलचर मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि ये नोटिस सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड के गलत प्रबंधन को लेकर जारी की गई है।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पांच मिलीमीटर की मात्रा के हिसाब से एक वायल (शीशी) से 10 लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है। बच गई थोड़ी-बहुत मात्रा भी फेंकी नहीं जा सकती है। ऐसे में कई जगह कर्मचारियों के कम संख्या में पहुंचने और कई जगह टीका लगवाने वालों की अपेक्षित संख्या नहीं होने से डोज बर्बाद हो रही है।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति पंजाब की जहां अभी तक 156 डोज की बर्बादी हुई है। बंगाल की ममता सरकार ने इसपर काबू पाने के लिए नया निर्देश जारी किया है। बिहार और मध्य प्रदेश में 10 लोगों के पहुंचने पर ही शीशी खोली जा रही है। वैक्सीन की एक शीशी में दस खुराक होती है। शीशी को आइस बाक्स से निकाल लिए जाने के बाद जल्द इस्तेमाल जरूरी है। खुल जाने के बाद शीशी को सिर्फ चार घंटे तक ही रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। इसके बाद यह खराब हो जाती है।