प्रे.स. शिलचर, 21 जनवरी: शिलचर के ऐतिहासिक शंकरमठ और मिशन में चार दिवसीय वार्षिक सनातनी धार्मिक कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर मठ की 10वीं वर्षगांठ, नव निर्मित पार्थसारथी शिव मंदिर का उद्घाटन और योगाचार्य परम पूज्य परमहंस श्रीमद् स्वामी ज्योतिश्वरानंद गिरि महाराज की 116वीं जयंती मनाई गई।
कार्यक्रम के चौथे और अंतिम दिन विश्वशांति गीता यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार और सामूहिक प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। देश-विदेश से लगभग 40 साधु-संत इस पवित्र आयोजन में उपस्थित रहे।
गीता का सनातन धर्म में महत्व
अंतरराष्ट्रीय गीता प्रचार संगठन के अध्यक्ष श्रीमद् स्वामी तपनानंद गिरि महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि “सनातन धर्म का अर्थ केवल धर्म का पालन करना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को समझने और पालन करने का मार्ग है। गीता हमें सिखाती है कि धर्म केवल परंपराओं और विधियों का पालन करना नहीं है, बल्कि यह हमारे अंदर छिपे गहरे ज्ञान और सत्य को पहचानने का माध्यम है।”
महाप्रसाद और भक्तों की उपस्थिति
तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में करीब 5000 भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम में शंकरमठ और मिशन की बारासात शाखा के कार्याध्यक्ष श्रीमद् स्वामी पल्लबानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा, “गीता के संदेश का प्रचार करना ही मठ और मिशन का मुख्य उद्देश्य है। गीता का ज्ञान हमें न केवल जीवन के उद्देश्य तक पहुंचने में मदद करता है, बल्कि हमें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।”
प्रमुख सहयोगी और आयोजन समिति के सदस्य
इस सफल आयोजन में प्रबंध समिति के अध्यक्ष रंजीत मित्रा, सचिव बिप्लव कुमार दे, उपाध्यक्ष देवनाथ, रूपन मित्रा, सुजीत मित्रा, न्यूटन मित्रा, काबुल मित्रा, रतन दे, तुहिन दे, छूटन दे, ब्यूटी दे, शिखा दे, सुजीत दे और अन्य सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा।
यह आयोजन शिलचर शंकरमठ के प्रतिष्ठा, परंपरा और आध्यात्मिकता के महत्व को और प्रबल करता है।





















