हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिलचर के सोनाई रोड स्थित महाप्रभु सरणी के शंकर मठ एवं मिशन परिसर में बुधवार को अत्यंत धार्मिक श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया।
सुबह से ही मठ प्रांगण में भक्तों और साधु-संतों की भारी भीड़ उमड़ी। पूरे परिसर में धार्मिक भजन, कृष्ण बंदना और शतनाम कीर्तन से गूंज उठी श्रद्धा की लहर। दोपहर तक लगभग दो सौ से अधिक भक्तों के बीच महाप्रसाद वितरित किया गया। भक्तों ने एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया और धार्मिक उत्साह तथा भक्ति की अनुभूति साझा की।
इस अवसर पर श्रीमत विज्ञानानंद गिरी महाराज ने कहा कि अन्नकूट महोत्सव का मूल संदेश है — गिरिराज गोवर्धन की प्रतीकात्मक पूजा, जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन और मिठाइयों से ‘अन्नकूट’ अर्थात् भोजन पर्वत सजाया जाता है। यह परंपरा आध्यात्मिकता और अन्न के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “अन्नकूट हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना सिखाता है और समाज में प्रचुरता, प्रेम और एकता का संदेश देता है।”
महाराज ने बताया कि भक्तजन बड़े ही स्नेह और श्रद्धा से विविध प्रकार के पकवान तैयार कर भगवान को नৈवेद्य अर्पित करते हैं। यह पर्व मानव और प्रकृति के मधुर संबंध का प्रतीक बन चुका है।
शंकर मठ एवं मिशन की प्रबंध समिति के सचिव बिप्लव देव ने बताया कि अन्नकूट महोत्सव मठ का एक प्रमुख वार्षिक धार्मिक आयोजन है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भक्तों के बीच एकता, प्रेम और आनंद का सेतु भी स्थापित करता है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रामु देवनाथ, ब्यूटी दे, छोटन दे, शिखा दे, तपन दे, लक्ष्मी सेन, पिंकी मित्रा, मान्ना दे, सुमी मित्रा, बीना दे, रंती मित्रा, राकेश मित्रा, रूपन मित्रा, सुमन मित्रा और राकेश दे सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।





















