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शिवरात्रि के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दक्षिण असम में जिला केंद्रों पर घोष दिवस मनाया

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शंकर भगवान नटराज है और इसलिए शिवरात्रि के दिन पूरे देश में राष्ट्रीय घोष दिवस मनाया जाता है। भगवान शंकर के डमरू की ध्वनि से अक्षर और शब्द उत्पन्न हुए। इसी दिन ब्रह्मा-विष्णु ने महादेव का पूजन किया था। 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 2 वर्ष पश्चात ही संघ में घोष का शुभारंभ हो गया था। शुरू में आर्मी के रिटायर्ड ऑफिसर से स्वयंसेवकों ने घोष शिखा जो विदेशी रचना पर आधारित था फिर उसका स्वदेशी करण किया विदेशी रचना तीन होती है जबकि भारतीय रचना कम से कम पांच होती है। उपरोक्त जानकारी स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए केशव निकेतन शिलचर में 11 मार्च को आयोजित राष्ट्रीय घोष दिवस के कार्यक्रम में अखिल भारतीय घोष प्रमुख राम चंद्र पांडे ने प्रदान की।

कार्यक्रम का शुभारंभ भगवा ध्वजारोहण से किया गया भारतीय रचना पर घोष वादन के पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्थानीय कलाकार रंजीत दास का गीत हुआ तत्पश्चात अखिल भारतीय घोष प्रमुख राम चंद्र पांडे जी का बौद्धिक हुआ। कार्यक्रम में घोष में 15 और अन्य मिलाकर 50 से ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में संघ के वरिष्ठ प्रचारक शशिकांत चौथाईवाले प्रांत प्रचारक संजय देव प्रांत घोष प्रमुख शरद कुमार जिला संघचालक शेखर नाथ आदि शामिल थे।

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