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शीर्षक: रक्षक ही भक्षक? रामकृष्णनगर में जंगल और नदी की खुली लूट, प्रशासन मौन

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रिपोर्ट: हीरक बणिक, रामकृष्णनगर, 6 मई- एक ओर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा भ्रष्टाचारमुक्त राज्य निर्माण का संकल्प ले चुके हैं, तो दूसरी ओर रामकृष्णनगर विधानसभा क्षेत्र में स्थित दो वन रेंज—दोहलिया और मिजोरम सीमा से सटे चेरागी फॉरेस्ट रेंज—में “रक्षक ही भक्षक” की कहावत को चरितार्थ होते देखा जा रहा है।

स्थानीय जागरूक नागरिकों का आरोप है कि इन वन क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा तैनात वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह विफल हो रहे हैं। दिन हो या रात, वन माफियाओं की अवैध गतिविधियां बेरोकटोक जारी हैं।

वन संपदा की लूट
संरक्षित वन क्षेत्रों से बहुमूल्य वृक्षों की कटाई कर चोरी-छिपे उन्हें बाहर भेजा जा रहा है। खासकर चेरागी फॉरेस्ट रेंज में बड़े पैमाने पर मूल्यवान लकड़ी की तस्करी हो रही है, और यह सब वन विभाग की आंखों के सामने हो रहा है। सवाल उठता है कि क्या विभाग की मिलीभगत के बिना यह संभव है?

नदी की कोख से रेत की अवैध खुदाई
सिर्फ जंगल ही नहीं, रामकृष्णनगर के अंतर्गत बहने वाली प्रसिद्ध सिंगला नदी की भी हालत चिंताजनक है। सरकार ने केवल एक निर्धारित स्थान पर वैध बालू महाल का संचालन करने की अनुमति दी है, लेकिन महाल के बाहर सिंगला नदी के कई हिस्सों से दिन-रात मशीनों द्वारा अवैध रेत खनन किया जा रहा है।

इससे न सिर्फ नदी की गहराई बढ़ रही है, बल्कि तटबंध टूटने से ग्रामीणों के घर और खेत नदी में समा रहे हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि इस अवैध खनन से सरकार को कोई राजस्व नहीं मिल रहा, जबकि माफिया भारी मुनाफा कमा रहे हैं।

ओवरलोड वाहन और जर्जर होती सड़कों की दुर्दशा
इन अवैध गतिविधियों के चलते ओवरलोड डंपर, टिपर और हाईवा गाड़ियाँ ग्रामीण क्षेत्रों की प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी पक्की सड़कों पर दौड़ रही हैं, जिससे सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं और करोड़ों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति नष्ट हो रही है।

सरकार की चुप्पी और जनता का सवाल
जब ये सब खुलेआम हो रहा है तो क्या राज्य सरकार को इसकी जानकारी नहीं है? या फिर सरकार जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है? स्थानीय जनता का कहना है कि अगर यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा तक पहुंचती है, तो उन्हें इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार बराक घाटी के तीन जिलों में सिंगला नदी की रेत सबसे अधिक मांग में है। शायद यही वजह है कि रेत माफिया दिन-रात एक करके अवैध खनन और तस्करी में लगे हैं।

जनता की अपेक्षा
रामकृष्णनगर की जनता अब राज्य सरकार से जवाब चाहती है। क्या मुख्यमंत्री अपने “भ्रष्टाचारमुक्त असम” के वादे को निभाएंगे? क्या चेरागी फॉरेस्ट रेंज की खुली लूट और सिंगला नदी की दुर्दशा पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?

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