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शेख हसीना की विदाई से टेंशन में क्यों है भारत, पढ़ें बांग्लादेश के साथ कितने बदल जाएंगे रिश्ते

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बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बीच सोमवार को तख्तापलट हो गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और राजधानी ढाका छोड़ दिया है। पड़ोसी मुल्क में अब नई सरकार बनेगी। इस सरकार की विदेशी नीतियां शेख हसीना सरकार से अलग होगी जो भारत के लिए चिंता की बात है। पुछले 15 सालों से सत्ता पर काबिज शेख हसीना ने हमेशा भारत का साथ दिया है।

नई दिल्ली। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट (Bangladesh Violence) होने के बाद नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में वहां अंतरिम सरकार बनने वाली है। नई सरकार के सत्ता में आने का मतलब है विदेशी कूटनीति में भी बदलाव आएंगे।

शेख हसीना सरकार (Sheikh Hasina Resignation) की विदाई ने भारत की भी चिंता बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियां सत्ता में काबिज हो सकती हैं। इन पार्टियों का झुकाव चीन और पाकिस्तान की ओर है।

सीमा सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता

दरअसल, भारत-बांग्लादेश के बीच 4096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी थल सीमा है। देश के पांच राज्यों से बांग्लादेश की सीमा लगती है। इस पूरे क्षेत्र में मैदानी, जल, पहाड़ी और जंगली क्षेत्र का विशाल भूभाग है और इसकी जनसंख्या भी काफी अधिक है। पड़ोसी देश में फैली अस्थिरता की वजह से बड़ी तादाद में लोग वहां से भारत पलायन करने की सोच सकते हैं। बांग्लादेश से शरणार्थियों का देश में आगमन बढ़ सकता है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। शेख हसीना ने हमेशा भारत का साथ दिया है। उनके कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच, ऊर्जा, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे – जैसे क्षेत्रों में काफी काम हुआ है। वहीं, व्यापार क्षेत्र में भी दोनों देशों का सहयोग अच्छा रहा है।

अधर में लटक सकती है तीस्ता नदी कंजर्वेशन प्रोजेक्ट

तीस्ता सिंचाई परियोजना (Teesta River Project) को लेकर दोनों देश पिछले कुछ सालों से बातचीत चल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और शेख हसीना के बीच  तीस्ता नदी कंजर्वेशन प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई है। इस परियोजना पर चीन की भी बुरी नजर है। अगर बांग्लादेश सरकार की नीतियों में बदलाव आता है तो जाहिर सी बात है कि इसका बुरा असर इस परियोजना पर भी पड़ सकता है।

 

ट्रेड पर भी पड़ सकता है बुरा असर

भारत और बांग्लादेश एक बड़े ट्रेडिंग पार्टनर रहे हैं। ibef.org पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच कुल ट्रेड 14.22 अरब डॉलर का रहा था। वित्त वर्ष 2023 में भारत से बांग्लादेश के लिए 6,052 वस्तुओं का निर्यात किया गया था। निर्यात का ये आंकड़ा 12.20 अरब डॉलर रहा था, जो कि वित्त वर्ष 2022 में हुए 16.15 अरब डॉलर की तुलना में कम था।

भारत से बांग्लादेश भेजी जाने वाली चीजों की लिस्ट

कपास धागा

पेट्रोलियम उत्पाद

अनाज

सूती कपड़े

बांग्लादेश से भारत भेजी जाने वाली चीजों की लिस्ट

आरएमजी कपास

सूती कपड़े

आरएमजी मानव निर्मित फाइबर

मसाले

बांग्लादेश में नई सरकार के आने से दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर भी असर पड़ने की आशंका है।

तो क्या दूसरा पाकिस्तान बन जाएगा बांग्लादेश? 

भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि शेख हसीने के बेटे ने जानकारी दी है कि उनकी मां अब राजनीतिक वापसी नहीं करेंगी। हसीना के बेटे व पूर्व आधिकारिक सलाहकार सजीब वाजेद जाय ने यह दावा किया। सजीब ने कहा कि उनकी मां हसीना ने परिवार के आग्रह पर देश छोड़ा है।

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस पर न्यूजआवर को दिए साक्षात्कार में जाय ने कहा कि उनकी मां की राजनीतिक वापसी नहीं होगी। समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार जाय ने आशंका जताई कि बीएनपी-जमात गठबंधन सत्ता में आया तो बांग्लादेश दूसरा पाकिस्तान बन जाएगा।

 

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