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श्रीकिशन सारदा कॉलेज में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार सम्पन्न, भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण पर जोर

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श्रीकिशन सारदा कॉलेज में दो दिवसीय नेशनल सेमिनार सम्पन्न, भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण पर जोर

शंकरी चौधुरी, हाइलाकांदी, 20 नवंबर:
आइक्यूएसी एवं इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) सेल, श्रीकिशन सारदा कॉलेज द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार मंगलवार को सम्पन्न हुआ। सेमिनार का उद्घाटन आसाम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पन्त, श्री श्री विश्वविद्यालय कटक के उप निदेशक डॉ. भारत दास तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. रतन कुमार ने की। मुख्य अतिथि प्रो. राजीव मोहन पन्त ने पूर्वोत्तर भारत की विविध सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए गीता-नीति के आधार पर कर्तव्य, नैतिकता और राष्ट्रनिर्माण में शिक्षा की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षित भारत ही विकसित और आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा

मुख्य वक्ता डॉ. भारत दास ने भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता एवं आधुनिक शिक्षा पद्धति से इसके समन्वय पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत की स्वदेशी परंपराएँ, समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय नवाचार—ये सभी भारतीय ज्ञान प्रणाली का बहुमूल्य हिस्सा हैं, जिन्हें संरक्षित रखना रिसर्चर्स की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

असम विश्वविद्यालय के IKS डिवीजन के निदेशक एम. गंगाभूषण ने शिक्षा क्षेत्र में योग-शिक्षा की ज़रूरत पर जोर देते हुए योग और प्राणायाम को जीवनशैली का अंग बनाने की सलाह दी। वहीं, राजनीतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष व कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष डॉ. देवतोष चक्रवर्ती ने आधुनिक पंचायत राज और समकालीन शासन व्यवस्था पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।

कॉलेज के आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ. गोलाब चंद्र नंदी ने सेमिनार के उद्देश्यों और इसकी शैक्षणिक महत्ता पर प्रकाश डाला। स्वागत भाषण संस्कृत विभाग की सहायक अध्यापिका एवं सेमिनार की समन्वयक डॉ. दीपांजना पुरकायस्थ ने दिया। विदुषी नाथ मजूमदार ने ‘सरस्वती वंदना’ प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का सम्मान मोमेंटो और उत्तरीय भेंट कर किया गया।

कार्यक्रम का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुभ गौरव राय ने किया। सेमिनार के दूसरे दिन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. रम्यव्रत चक्रवर्ती, सह-समन्वयक डॉ. पिनाक पानी नाथ चौधुरी तथा डॉ. देवतोष चक्रवर्ती ने विचार व्यक्त किए।

ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित इस सेमिनार में गुवाहाटी विश्वविद्यालय के संजय भट्टाचार्य, आसाम विश्वविद्यालय के डॉ. रमाकांत दास, मणिपुरी विभाग के डॉ. एच. राजमणि सिंह, नेहरू विश्वविद्यालय की डॉ. सलोनी बारे और त्रिपुरा विश्वविद्यालय की मिलन रानी जामातिया सहित देश के विभिन्न राज्यों—दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पूरे नॉर्थ-ईस्ट—से शोधार्थियों ने अपने शोध–पत्र प्रस्तुत किए।

अंत में सह–समन्वयक एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रियब्रत नाथ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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