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श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र मे शहीद सुदेष्णा सिंह की प्रतिमा के लिए भुमि पूजन व एनिमेल पार्क उद्घाटन समारोह आयोजित 

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शिलचर, १७ मार्च: काछाड़ जिला का बेकीरपार स्थित खमपाल में भव्य समारोह के साथ पिछले २१ फेव्रुवारी से १६ मार्च तक का २५ दिवसीय प्रथम भारतीय सांस्कृतिक उत्सव मनाया गया। उत्सव के प्रधान अतिथि के रुप में असम सरकार का पशुपालन विभाग का युग्मसंञ्चालक डा मनोरञ्जन सरकार ने मुख्य वक्ता मनोज कुमार शाह, गुरु जयबाबु सिंह और काछार जिला का आधिकारिक डा: जीतेन्द्र भूञा-जी को साथ में लेकर प्रदीप प्रज्ज्यलन द्वारा अनुष्ठान उद्घाटन किया। उसके वाद कलाक्षेत्र का महिला शिल्पीयों ने विजयलक्ष्मी सिंह की नेतृत्व में शहीद सुदेष्णा सिंह की प्रस्तावित प्रतिमा के स्थान का भुमि पुजन किया। उसके पश्चात पवित्र रुक्मिणी नदी के तट पर कलाक्षेत्र परिसर में डः मनोरञ्जन सरकार और डा जीतेन्द्र भुञा ने युग्म रुप से “एनिमेल पार्क” का उद्धाटन करने के बाद कल्प वट वृक्ष में नववस्त्र परिदान किया।
     इस अवसर पर अतिविशिष्ट अतिथि डा: जीतेन्द्र भुञाजी ने कला-संस्कृति, जातीय संहति और भाइ-चारिता के उपर विस्तर से आलाचारिता किया।
     अपना भाषण में तैहार का मुक्ष्य वक्ता तथा बराकघाटी तेली साहु समाज का सभापति मनोज कुमार शाह ने जिक्र किया १५ मार्च २०२४ श्री कृष्ण रुक्मिणि कलाक्षेत्र के अध्यक्ष बिधान सिंह, बराक घाटी तेली साहू समाज के अध्यक्ष  स्वयं मनोज कुमार साह एवम हिंदीभाषी-चायजनसमुदाय मंच के सचिव विप्लव राय ने काछार जिला का उप जिलाधीक्षक श्रीमनसुर आहमेद मजुमदार के द्वारा असम के राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवंम असम विधान सभा का अध्यक्ष को एक स्मारक पत्र भेजे थे ताकि अतिशिघ्र तीनो भाषा विष्णुप्रिया मणिपुरी, हिंदी एवं डिमाशा को कछार, करिमगंज एवम हैलकांदी में सहायक ऑफिसियल भाषा की मान्यता मिले । साथ ही 5 अप्रेल को रिलीज हो रही धार्मिक फ़िल्म मेरी माँ कर्मा के बारे में लोगो को बताए कि कैसे भगवान जग्गनाथ अपने भक्तों के अशीम स्नेह से प्रसन्न होकर उनके घर खिचड़ी खाने आते थे ।
       गैरतलव हैं कि श्री कृष्ण रुक्मणि कलाक्षेत्र के ३ मार्च का टक-शो के आधार पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति ने असम के बराक घाटी में विष्णुप्रिया मणिपुरी, डिमाशा और हिन्दी को एशोसियेट आफिसियल भाषा के रुप में मान्यता देने के लिए असम सरकार को सुपारिश किया । हाल ही में ३ मार्च २०२४ तारिख श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के व्यवस्थापना में २१ फेव्रारी से १६ मार्च २०२४ तक आयोजित प्रथम भारतीय सांस्कृतिक उतसव @महामेल के १२दिवस पर आयोजित एक टक-शो में अध्यक्ष बिधान सिंह ने चर्चा में सरकार से आग्रह किया कि कछार, हैलाकांदी एवम करीमगंज जिला में विष्णुप्रिया मणिपुरी, डिमाशा एवम हिंदी को एशोसियेट ऑफिसियल भाषा की मान्यता मिलना चाहिए । तभी सभी लोगो का संस्कृति एवं भाषा का विकाश हो पायेगा । उक्त टक शो में पण्डित हरिकान्त सिंह गीतादूतम और पण्डित नीलमाधव सिंह गीतादुतम सामिल थे। इसके बारे में अखिल असम भोजपुरी परिषद, अखिल भारतीय तैलिक साहु महासभा , बराकघाटी तेली साहू समाज, हिंदीभाषी – चाय जनसमुदाय मंच,सर्व हिन्दुस्तानी परिषद , विष्णुप्रिया मणिपुरी और डिमाशा स॔गठनादि को जानकारी दी गयी। इस विषय मे महामहिम राष्ट्रपति सचिवालय से असम सरकार को निर्देश पारित हुआ है कि इस विषय पर राज्य सरकार जल्द संज्ञान ले। आज का प्रतिनिधि मंडल में सर्ब भारतीय हिन्दुस्तानि परिषद, हिन्दी भाषी चाय जनसमुदाय मंच, बराक घाटी तेली साहु समास, विष्णुप्रिया मणिपुरी एवम डिमाछा समुदाय का कार्यकर्ता सामिल थे। गौरतलब हैं कि सन २०२१ के दिसम्बर महिने के १४ तारिख को असम विधान सभा का अध्यक्ष के आग्रह पर श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के अध्यक्ष विधान सिंह ने विधान सभा कक्ष में आयोजित “स्पीकर इनिसिएटिव” के तहत जातीय शिक्षानीति के उपर भाषण में  सरकार से स्कुलों में मातृभाषा का माध्यम लाघु करने का आग्रह किया था।
        सम्मानीय अतिथि डा: आनन्द मोहन सिंह और पण्डित हरिकान्त सिंह गीतादूतम ने कुमारी सुदेष्णा सिंह के महत वलिदान की बढ़िया ढंग से व्याख्या की।
       राष्ट्र गान के साथ खत्म हुवा प्रथम भारतीय सांस्कृतिक उतसव : २०२४ की सञ्चालन श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के अध्यक्ष विधान सिंह ने किया।

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