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बिहार सरकार के मुख्य सचिव ने भी लिया संज्ञान
शिलचर, 12 जुलाई: हाल ही में असम का काछाड़ जिलार्तगत बेकीरपार खमपाल स्थित श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र द्वारा आयोजित टक शो (23 जुन 2024) के आधार पर जिलाधिपति के माध्यम से 28 जुन 2024 भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधान मन्त्री, लोकसभा के अध्यक्ष और संसदीय परिक्रमा मन्त्री को भेजे गए ज्ञापन के तहत तुरन्त कारवाइ करने के लिए राष्ट्रपति ने 5 जुलाई असम के मुख्य सचिव रवि कोटा को निर्देश दिया है। इस सिलसिले में बिहार सरकार के मुख्य सचिव ने 10 जुलाई लिखित रुप में इ-मेल से श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र का अध्यक्ष विधान सिंह को अवगत कराया कि उक्त विषय पर करवाई करने के लिए बिहार सरकार के संसदीय परिक्रमा विभाग को सूचित किया गया है।
गौरतलव हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों में छह महीने के लिए उन जाति / जनगोष्ठी से मंत्री पद दिया जाना चाहिए, जिनका अस्तित्व, उनकी भाषा संस्कृति संकट के दौर में हो, इस विषय पर श्री कृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र ने इस मांग को आगे बढ़ाया है। संविधान के तहत मंत्री पद दिया जाना संभव बताया गया। श्री कृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र के टॉक शो में तथा शिक्षाविद, लेखक विधान सिंह ने कहा कि संविधान में सभी के समान हितों का उल्लेख है। मंत्रिमंडल में ऐसे लोगों को मंत्री बनाए जाने का उदाहरण है, जो चुनाव लड़ा न हो अथवा चुनाव में पराजय हुआ हो। छह महीने के लिए ही सही लेकिन मंत्रिमंडल में उन जाति, जनगोष्ठी से भी स्थान मिलना चाहिए, जिनकी आबादी कम है, समुदाय से प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं हो। विधान सिन्हा ने सरकार से आग्रह किया कि भारतीय संविधान के धारा 52 एवं 53 (1) तहत राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का विशेष अधिकार के तहत केंद्र व राज्य सरकारों में प्रतिनिधित्व विहीन समुदाय का संसद (लोक सभा / राज्य सभा) या विधानसभा (विधानसभा / विधान परिषद) में छ महीने तक का मंत्री पद प्रदान किया जाए। गौरतलब है कि सन 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस विषय पर मोहर लगाई थी कि छ महीने तक संसद में मनोनीत मताधिकार प्राप्त भारतीय नागरिक को मंत्री बनाने में कानूनी रूप से कोई असुविधा नहीं हैं।