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श्री कृपा नाथ मलाह : चाय बागान से लोकसभा तक की प्रेरणादायी राजनीतिक यात्रा

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श्री कृपा नाथ मलाह : चाय बागान से लोकसभा तक की प्रेरणादायी राजनीतिक यात्रा

श्रीभूमि (करीमगंज): असम के राजनीति जगत में एक सम्मानित और लोकप्रिय चेहरा, श्री कृपा नाथ मल्लाह का जीवन संघर्ष और सेवा भाव से भरा हुआ है।

श्री मलाह का जन्म 15 अक्टूबर 1973 को दूरस्थ राताबाड़ी के विद्यानगर चा बागान में हुआ। उनके पिता, स्वर्गीय श्रीकृष्ण मोहन मल्लाह, एक प्रतिष्ठित शिक्षक थे। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने विद्यानगर हिंदी एलपी स्कूल से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई विद्यानगर हिंदी एमई स्कूल तथा दुल्लभछड़ा हिंदी विद्यापीठ से पूरी कर हाई स्कूल उत्तीर्ण किए। उच्च माध्यमिक विज्ञान की परीक्षा उन्होंने रामकृष्णनगर विद्यापीठ से पास की और स्नातक (बी.एससी.) की डिग्री करीमगंज कॉलेज से हासिल की। साथ ही, श्री मल्लाह ने शिलचर इंस्टिट्यूशन से कंप्यूटर डिप्लोमा भी प्राप्त किया।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 2002 में की, जब वे विद्यानगर ग्राम पंचायत के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उनके विनम्र, शिक्षित और जनप्रिय व्यक्तित्व को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय गौतम राय, स्वर्गीय दिनेश प्रसाद ग्वाला तथा दिवंगत मुमताज अली सहित अन्य नेताओं ने उन्हें 2003 में उपचुनाव के लिए उम्मीदवार चुना। परिणामस्वरूप, श्री मल्लाह भारी मतों से विजयी हुए और असम विधानसभा में कदम रखा।

2011 में कांग्रेस टिकट पर उन्होंने पुनः राताबाड़ी से चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार को 12,429 वोटों के अंतर से पराजित किया।
इसके बाद 2016 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस बार उन्हें 53,975 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 29,449 वोट प्राप्त हुए।

2016 के चुनावी अभियान के दौरान, डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की थी कि करीमगंज के जिस विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक मतों से जीत मिलेगी, वहां मेडिकल कॉलेज की स्थापना होगी। इस वादे का श्रेय पूरी तरह से श्री मल्लाह को जाता है, क्योंकि आज रामकृष्णनगर टाउन के समीप मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।

राजनीतिक जीवन में उनकी एक और उपलब्धि रही जब 2018 से 2019 तक वे असम विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे।
इसके बाद 2019 में वे करीमगंज से सांसद निर्वाचित हुए।
फिर 2024 में भी उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी हाफिज रशिद अहमद चौधरी को लगभग 17,000 वोटों के अंतर से पराजित कर लगातार दूसरी बार लोकसभा में प्रवेश किया।

श्री कृपा नाथ मल्लाह का सफर यह दर्शाता है कि संकल्प, सरलता और जनता के प्रति सच्ची सेवा भावना से कोई भी व्यक्ति चाय बागान की ज़मीन से उठकर राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुँच सकता है।

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