कलियुग में श्रीराम के अन्यतम भक्त सिरोमणी हनुमान जी महाराज के पूजन हवन हनुमान चालीसा एवं सुंदर कांड पाठ करने से निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उस परिवार पर कोई संकट तो नहीं आ सकता.
जब हम 1987 में हरियाणा के रोहतक मेडिकल कॉलेज के आपरेशन थिएटर के बाहर दीपक जलाकर सुंदरकांड पाठ हमारे अग्रज सीताराम सिंघल के जीवन रक्षा के लिए किया तो वरिष्ठ शैल्य चिकित्सक डा मङिया ने एतराज किया लेकिन हमनें सपष्ट कर दिया कि अब यह पाठ शुरू हो गया तो समापन भी यहीं होगा तो खीझ कर चले गए तथा सात आठ मिनट बाद आकर बताया कि आपरेशन सफल हो गया. ताजुब हमें भी था तो मुलाकात में डाक्टर ने भी कहा कि इतना जटिल मामला कैसे चुटकी में हो गया
हम जब भी कोई बिमार हो तो बिना औपचारिकता के अर्धरात्रि में ही सुंदरकांड पाठ शुरू कर देते हैं चाहे हमारा रिश्तेदार हो अथवा जान पहचान का .
हमारे खानदान में एक हनुमान चालीसा पाठ करना हरेक को जरूरी है.
,संकट से हनुमान छुड़ावै मनक्रम वचन ध्यान जो लावे,,
.संकट हटै मिटे जो पीङा जो सुमिरे हनुमंत बलवीरा..
शक्ति एवं भक्ति के लिए हमें सिर्फ एक ही देवता को इष्ट मानकर पूजन हवन पाठ करना चाहिए. देखादेखी एवं शुर्खियों में आने के लिए 33 करोड़ देवता में नयें नये देवी देवता की खोज का प्रयास उचित नहीं.
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मोबाइल 9435073653