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संविधान दिवस पर दक्षिण असम में भव्य कार्यक्रम, लाइव पेंटिंग और सांस्कृतिक प्रस्तुति ने खींचा ध्यान

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शिव कुमार, शिलचर 26 नवंबर,आज संस्कार भारती दक्षिण असम प्रांत की ओर से आज संविधान दिवस पर शहर के लगभग पाँच स्थानों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों की खास बात थी लाइव पेंटिंग, जिसमें कलाकारों ने संविधान निर्माण काल की ऐतिहासिक कलाकृतियों को आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया। आयोजन समिति ने बताया कि लाइव पेंटिंग का पहला चरण पूरा हो चुका है और इसे बड़े स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
आयोजकों ने कहा कि जब भारत का संविधान तैयार किया गया था, तब महान कलाकार नंदलाल बोस और उनके शिष्यों ने जो शानदार चित्रांकन किया था, उसकी जानकारी आज बहुत कम लोगों के पास है। इस प्रयास का उद्देश्य है कि आम जनता इन अमूल्य कलाकृतियों को फिर से जान सके और समझे कि भारत का संविधान केवल कानूनों का दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की संस्कृति और विचारधारा की गहरी अभिव्यक्ति भी है।संविधान दिवस पर पीएम श्री हाई स्कूल भोराखाई में भी एक विशेष आयोजन हुआ। सह-प्राचार्य राजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि स्कूल परिवार बच्चों के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण दिन को मनाकर गर्व महसूस करता है। कार्यक्रम में छात्रों ने देशभक्ति गीत, भाषण और जागरूकता प्रस्तुतियां दीं, जबकि शिक्षकों ने संविधान की महत्वत्ता पर अपने विचार साझा किए।

असम विश्वविद्यालय के राजभाषा प्रकोष्ठ के हिंदी अनुवादक पृथ्वीराज ग्वाला ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में तैयार हुआ संविधान भारत के लोकतंत्र का सुरक्षा कवच है। उन्होंने बच्चों की उत्साहपूर्ण भागीदारी की सराहना की और सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दीं।छात्रों और शिक्षकों ने सामूहिक रूप से संविधान को नमन कर कार्यक्रम को यादगार बनाया।संस्कार भारती की ओर से आयोजित मुख्य कला-प्रदर्शन में संविधान से जुड़े विषयों को अनोखे तरीके से चित्रों में उतारा गया। कलाकार बिमलेंदु सिन्हा ने बताया कि इस इलस्ट्रेशन को मास्टरमशाई ने तैयार करवाया है, जिसमें भारत की विविधता और साझा संस्कृति को उकेरा गया है।कलाकृति में प्रकृति का महत्व, सभी धर्मों का समभाव, गांधीजी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर जैसे महापुरुषों के चित्र, साथ ही शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मीबाई जैसे ऐतिहासिक चरित्रों की छवियाँ शामिल हैं। धार्मिक संदर्भ में हनुमान जी और महाबली की प्रतिमाओं के चित्र भी स्थान पाते हैं।ज्यादातर चित्र सुनहरी कलाकारी पर आधारित हैं, जो कलाकार की विशिष्ट शैली को दर्शाते हैं।
पूरा प्रदर्शन एक सुव्यवस्थित लाइन-अप में सजाया गया, जिससे एक ही नज़र में भारतीय संस्कृति की विविधता का आभास होता है।इस कला-कार्यक्रम में कई छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। जिन्हें समय मिला, वे सभी इस चित्रांकन प्रक्रिया से जुड़े। छोटे बच्चों को लाइन-ड्रॉइंग और बुनियादी कलात्मक अभ्यास भी करवाया गया। आयोजकों का कहना है कि कई बच्चों को पहले इन ऐतिहासिक कला रूपों की जानकारी नहीं थी, लेकिन अब वे सक्रिय रुचि दिखा रहे हैं।बिमलेंदु सिन्हा ने कहा कि बच्चों की आवाज, सवाल और उत्साह से पता चलता है कि यह अभियान सही दिशा में जा रहा है। उन्होंने सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से नई पीढ़ी संविधान और भारतीय कला विरासत के करीब आती है।कार्यक्रम में संस्कार भारती के प्रसेनजीत दे, विनय पाल, आनंद सिन्हा, भोराखाई हाई स्कूल के सह-प्राचार्य राजेंद्र प्रसाद यादव, राजकुमार पाशी और अन्य स्थानीय गणमान्य भी मौजूद रहे। सभी अतिथियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि संविधान दिवस केवल एक औपचारिक दिवस नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक चेतना को समझने का अवसर है।

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